अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन को पाकिस्तान का बचाव नहीं करना चाहिए और इस्लामाबाद को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहना चीन की जिम्मेदारी है। ट्रम्प प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव में चीन के अड़ंगा लगाने पर निराशा व्यक्ति की है।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “हमारे अनुसार चीन की यह जिम्मेदारी है कि वह पाकिस्तान का बचाव न करे और साथ ही पाकिस्तान पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ खड़ा हो।”
यह चौथी दफा है जब चीन ने तकनीकी आधार पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया हैं। इस मसौदे को यूएन के अन्य स्थायी सदस्यों ने प्रस्तावित किया था। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “क्षेत्रीय स्थिरता और शान्ति बनाये रखने के अमेरिका और चीन के साझा हित थे। इसलिए हमने उम्मीद की थी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम एकजुट होकर कार्य करेंगे। ट्रम्प प्रशासन सोचता है कि अब पाकिस्तान का आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का समय है।
यूरोपीय संघ में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने की पहल जर्मनी ने की है। ANI के सूत्रों के मुताबिक जर्मनी इस बाबत ईयू के कई सदस्यों के साथ संपर्क में हैं। 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ के सभी सदस्य इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। फ्रांस ने जैश ए मोहम्मद के संस्थापक और सरगना मसूद अज़हर की अपने देश में स्थित संपत्ति को जब्त करने का निर्णय लिया है।
मसूद अज़हर ने भारत में कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 40 सीआरपीएफ के जवानों की मृत्यु हुई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में बुधवार देर रात को चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल होने से बचा लिया था।