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    भारत चीन सेना लदाख

    चीन के साथ डोकलाम में जारी विवाद के बाद अब भारत पर चीन से लगती सीमा पर कड़ी चौकसी का दबाव बढ़ गया हैं। पिछले कुछ समय में चीन की लगातार घुसपैठ की कोशिश भारतीय सेना को परेशान कर रही हैं। इन सब बातों से प्रश्न यह उठता हैं कि क्या चीनी सीमा पर भी अब पाकिस्तान सीमा की तरह कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता हैं?

    आपको बता दें चीन से लगती सीमा और पाकिस्तान की सीमा में काफी फर्क हैं। भारत और चीन के बीच करीबन 4000 किमी लम्बी सीमा हैं। इस सीमा में मुख्यतः लम्बे लम्बे पहाड़ और पठार हैं। लदाख और हिमाचल प्रदेश में बर्फ से ढके ऊँचे पहाड़ हैं जहाँ गश्ती करना बहुत ही मुश्किल हैं। लदाख में कई बार तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे गिर जाता हैं और जीना असहनीय हो जाता हैं। सर्दी के दिनों में इस इलाके में जवानो को कम कर दिया जाता हैं और गर्मी में वापस तैनात कर दिया जाता हैं। ऐसे में यहाँ लगातार गश्ती करना एक चुनौती भरा काम हैं। हाल ही में सेना ने करीबन 45000 सैनिकों को ऐसे इलाकों में युद्ध करने का प्रशिक्षण दिया था। इसका मुख्य उद्देश्य चीनी सीमा को मजबूत करना हैं।

    सेना द्वारा जारी की गयी खबर के मुताबिक पिछले एक साल में चीन की और से घुसपैठ कई गुना बढ़ गयी हैं। ऐसे में सेना पर इसको रोकने की जिम्मेदारी भी बढ़ गयी हैं। अगर चीन से लगती सीमा पर पाकिस्तान की तरह चौकसी की जरूरत पड़ती हैं, तो इसका सेना और सरकार पर भारी असर पड़ता हैं। एक शोध के अनुसार रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ पाकिस्तान और कश्मीर मुद्दे पर खर्च किया जाता हैं। ऐसे में अब अगर चीन के साथ भी यह नौबत आती हैं, तो बजट पर भी असर पड़ेगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।