भारत की तरफ से कुलभूषण जाधव के मामले की पैरवी आला वकील हरीश साल्वे ने हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत में की थी। उन्होंने इस मामले के लिए एक रूपए लिए थे जबकि पाकिस्तान ने इस मामले में 20 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की है। पाकिस्तान को साबित करना था कि जाधव भारत का पाक में जासूस था।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 15 मई 2017 को ट्वीट में खुलासा किया था कि हरीश साल्वे ने हेग में भारत के मामले के लिए एक रूपए की राशि चार्ज की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल्वे ने अन्य क्लाइंट्स से रोज के 30 लाख रूपए आराम से वसूल करते हैं।
पाकिस्तान की सरकार ने राष्ट्रीय संसद में बीते वर्ष बजट दस्तावेज को प्रस्तावित किया था कि वह ब्रिटेन में स्थित बैरिस्टर खवर कुरैशी को इस मामले के लिए 20 करोड़ अदा किये थे जो हेग में देश का प्रतिनिधित्व का रहे थे। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कानून में स्नातक किये कुरैशी आईसीजे में केस में लड़ने वाले सबसे युवा वकील है।
अंतररष्ट्रीय न्यायिक अदालत मे पेश किये गए दस्तावेज के मुताबिक, पाकिस्तान ने जाधव को 30 अक्टूबर 2017 को एक पत्रकार एक पत्र में अपराधिक घोषित किया था और इसका बाद ही भारत इस निर्णय के खिलाफ वैश्विक अदालत की तरफ चला गया था।
48 वर्षीय पूर्व नौसैन्य अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 11 अप्रैल 2017 में सजा ए मौत का दंड दिया था। जाधव पर जासूसी के आरोप थे। पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने आईसीजे के दरवाजे खटखटाये थे क्योंकि इस्लामाबाद ने इस मामले में राजनयिक पंहुच न देकर साल 1963 की वियना संधि का उल्लंघन किया था।
पाकिस्तानी विदेश विभाग ने अधिकारिक बयान में कहा कि “आईसीजे के फैसले के अनुसार, कमांडर कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधो के वियना संधि के आर्टिकल 36 पैराग्राफ 1 (ब) के तहत अधिकारों से अवगत करा दिया गया है।”