पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि “हमारी सरजमीं पर जिहादी संस्कृति और जिहादी संगठनों के लिए कोई जगह नहीं है।” पुलवामा आतंकी हमले के बाद वैश्विक दबाव के कारण पाकिस्तान ने आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की थी।
डॉन के मुताबिक मीडिया से मुखातिब होकर प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि “भारत की एनडीए सरकार घृणा की राजनीतिक बदौलत चुनाव में अपना परचम लहराना चाहती है। उन्होंने आगाह किया कि जब तक भारत में चुनाव संपन्न नहीं हो जाते, नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा से सम्बंधित खतरा बरकरार रहेगा। देश को हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।”
इमरान खान ने कहा कि “देश के सुरक्षा बल हमेशा तत्पर रहेंगे और किसी भी आक्रमक रवैये के खिलाफ वे कड़ा जवाब देंगे। पाकिस्तान समस्त विश्व को यकीन दिलाना चाहता हैं कि वह न सिर्फ एक शांतिप्रिय देश है बल्कि वह अपनी लम्बी अवधि और छोटी अवधि की नीतियों से जिहादी संस्कृति और आतंकवाद का समापन करने के लिए भी सच्ची निष्ठा रखता है।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत हमें एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डालने का भरसक प्रयास कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान को काफी आर्थिक समस्याओं से जूझना होगा।”
उन्होंने कहा कि “प्रतिबंधित संगठनों को काफी पहले ही समाप्त कर देना चाहिए था लेकिन सिर्फ उनकी सरकार ने इन संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरू की है। सरकार उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए काफी धनराशि खर्च कर रही है। सभी सियासी दलों ने राष्ट्रिय कार्य योजना पर रज़ामंदी व्यक्त की है और आतंकी समूहों को प्रतिबंधित कर दिया है। उनके खिलाफ कार्रवाई जारी है और पाकिस्तानी सरजमीं पर इस तरह की गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जाती है।”
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स एक सरकारी संस्था है जो आतंकियों के वित्तपोषण और अन्य मामलों पर कार्रवाई करती है। इसका गठन साल 1989 में हुआ था। एफएटीएफ की आलोचना के बाद ही पाकिस्तान ने जमात उद दावा और फलाह ई इंसानियत पर दोबारा प्रतिबन्ध लगा दिए थे।
भारत के कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी के हमले की आलोचना करते हुए पेरिस में स्थित ग्लोबल फाइनेंसियल वाचडॉग ने बीते माह पाकिस्तान को आतंकियों को वित्तीय सहायता मुहैया करने और मनी लॉन्ड्रिंग पर शिकंजा न कसने के कारण चेतावनी दी थी।
सूत्रों के मुताबिक “एफएटीएफ के 10 पॉइंट के एक्शन प्लान के तहत 27 लक्ष्य अब खान सरकार की प्राथमिकता में शुमार है।” पाकिस्तान की फाइनेंसियल मॉनिटरिंग यूनिट ने साल 2018 में 8707 संदिग्ध ट्रांसक्शन की रिपोर्ट जारी की है, जबकि साल 2017 में यह 5548 थे।