पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सोमवार को आर्थिक सुधार के लिए तीन वर्ष के बेलआउट पैकेज के लिए आधिकारिक बातचीत शुर कर दी है। दोनों पक्षों ने संभावित साथ से आठ अरब डॉलर के कर्ज पर चर्चा कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय के सलाहकार और प्रवक्ता खाकान नजीब के मुताबिक आईएमएफ का प्रतिनिधि समूह मंत्रालय के अधिकारीयों, फ़ेडरल बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू और केंद्रीय बैंक के अधिकारीयों से मुलाकात करेंगे।
आईएमएफ से बातचीत
समीक्षा अभियान में आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण किया जायेगा और कार्यवाहक वित्त मंत्री अब्दुल हफ़ीज़ शैख़ से नीति स्तरीय बातचीत की जाएगी। इस दौरान कार्यक्रम के नियमो और शर्तो पर भी चर्चा की जाएगी। अगर सफल रहता है, तो वे पाकिस्तान के साथ लेटर ऑफ़ इंटेंट पर हस्ताक्षर करेंगे।
आईएमएफ की टीम को आर्थिक निशानों की प्रगति के बाबत संक्षेप में बताया जायेगा और उनके समक्ष वित्तीय वर्ष 2019-20 का की सिफारिशों को लेकर मौजूद होंगे। आईएमएफ ने पाकिस्तान को टैक्स टू जीडीपी दर में 13.2 फीसदी वृद्धि करने के लिए दबाव बनाया है। हालाँकि पाकिस्तान ने आईएमएफ को जीडीपी का 12.7 फीसदी टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए सुनिश्चित किया है।
पाक पीएम की मुलाकात
पाकिस्तान के प्रधानम्नत्री इमरान खान ने आईएमएफ की निदेशक क्रिस्टीन लेगार्डे से शुक्रवार को बीआरआई के सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी। पाकिस्तान इस वक्त नकदी के संकट से जूझ रहा है अलबत्ता, सऊदी अरब, यूएई और चीन ने पाकिस्तान को आर्थिक हालात सुधारने के लिए सहायता मुहैया की है।
अमेरिका के मुताबिक, चीन का कर्ज चुकता करने के लिए पाकिस्तान आईएमएफ के बेलआउट पैकेज का इस्तेमाल करेगा। पाकिस्तान आईएमएफ से 8-12 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की मांग भी कर रहा है। पाकिस्तान कई आतंकी समूहों का पनाहगार बना हुआ है और मुल्क को नकदी के संकट से बचाने के लिए कर्ज की जरुरत है।
बीते सप्ताह पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हाल ही उन्होंने बयान दिया था कि आईएमएफ के साथ पाकिस्तान कर्ज के लिए अंतिम दौर में पंहुच चुका है।