पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने मांग की कि खैबर पख्तूनवा से भी प्रांतीय सदन में प्रतिनिधित्व हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग नहीं स्वीकार की तो वे प्रदर्शन करेंगे।
दा वीक के मुताबिक सिख समुदाय के नेता गुरपाल सिंह ने कहा कि “खैबर पख्तूनवा सदन में सिर्फ तीन अल्पसंख्यक सदस्य है, जिनमे से दो सत्ताधारी पार्टी तहरीक ए इन्साफ से हैं।”
उन्होंने कहा कि “तीनों सदस्य हमारे समुदाय से ताल्लुक नहीं रखते हैं और हमारे लोगों की परेशानियों को व्याख्यान करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है।” अप्रैल 2016 से सदन में किसी अल्पसंख्यक सदस्य को नामित नहीं किया गया है। उस दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार सरदार सूरना सिंह की हत्या कर दी गयी थी।
साल 2013 से खैबर पख्तूनवा में प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी सत्ता में हैं। उन्होंने कहा कि ” चित्राल के कैलाश समुदाय से रवि कुमार अल्पसंख्यकों की समास्य कैबिनेट को बताने के लिए सदस्य के तौर पर नामित किये जा सकते हैं।इसके आलावा अल्पसंख्यक समुदाय के समक्ष मांग को मनवाने के लिए प्रदर्शन के आलावा कोई विकल्प शेष नहीं है।”
हाल ही में बलोच राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन का आयोजन किया और पाकिस्तानी आर्मी द्वारा बलूचिस्तान में किये जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
बलोच वौइस् एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में पाकिस्तानी सुरक्षा विभागों के अपराधों को प्रदर्शित किया गया है और सेना पर आरोप पर आरोप लगाया कि वे बलोच राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अपहरण और बर्बर हत्या कर रहे हैं।
पाकिस्तान के गिलगिट बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्त्ता ने इस्लामाबाद पर आतंक रोधी कानून के अनुसूची-iv का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। इसके तहत क्षेत्र के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
फ्रेंड्स ऑफ़ गिलगिट बाल्टिस्तान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गिलगिट बाल्टिस्तान थिंकर्स फोरम के रिटायर्ड कर्नल वजाहत हसन मिर्जा ने ANI से कहा कि “दुर्भाग्यवश सबसे महत्वपूर्ण चीज अनुसूची iv अंत है, क्योंकि इसके तहत क्षेत्र के प्रगतिशील और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता है। एक विवादित क्षेत्र पर ऐसा प्रभाव सरासर गैर कानूनी है।”