Mon. Dec 23rd, 2024
    Kolkata doctors

    कोलकाता, 14 जून (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में शुक्रवार को स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रहीं। मरीजों के परिवारों द्वारा इलाज शुरू करने के बार-बार के आग्रह के बावजूद प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों ने अपनी हड़ताल जारी रखी।

    एनआरएस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के जूनियर चिकित्सकों ने अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखा। हालांकि, अस्पताल के द्वार आपातकालीन सेवाओं के बहाल होने की वजह से खोल दिए गए।

    ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में कामकाज बंद रहा।

    एक मरीज के परिजन ने हाथ जोड़कर एनआरएस के चिकित्सकों का अनुरोध किया, “कृपया काम फिर से शुरू करें और डायलिसिस के मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कष्ट न दें, क्योंकि उनकी गलती नहीं है। मैं बंगाल के सभी मरीजों की तरफ से माफी मांगता हूं।”

    प्रदर्शन कर रहे एनआरएस के एक चिकित्सक ने कहा, “माफी मांगने जैसा कुछ नहीं है। हम क्षमा करने वाले कौन हैं। हमारी सिर्फ एक मांग हमारी सुरक्षा है और हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक हमें कुछ आश्वासन नहीं मिलता।”

    एक गर्भवती महिला का इलाज नहीं किया गया और उससे कहा गया कि अस्पताल उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा।

    एनआरएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य शैवाल मुखर्जी ने गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा निदेशक को अपना इस्तीफा भेज दिया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और उपप्राचार्य सौरव चटर्जी ने भी इस्तीफा दे दिया।

    एक 75 साल के बुजुर्ग की सोमवार की रात मौत होने के बाद उसके परिजनों ने कथित तौर पर जूनियर चिकित्सकों की पिटाई की, जिसके बाद सरकारी एनआरएस अस्पताल में प्रदर्शन शुरू हुआ और मंगलवार की सुबह से नियमित सेवाएं रोक दी गईं।

    मृतक के परिवार ने कथित तौर पर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया है। एक इंटर्न परिबाहा मुखर्जी को दिमाग में गंभीर चोट लगी है और उसे इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के इन्टेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया है।

    स्थिति में सुधार होने के साथ मुखर्जी को सामान्य कक्ष में भर्ती किया गया है और अगले दो दिनों में उनकी छुट्टी हो जाएगी।

    सूत्रों के अनुसार, कमरहाटी में सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज में बड़े स्तर पर इस्तीफे दिए गए हैं, लेकिन प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है। कमरहाटी कोलकाता का उपनगरीय इलाका है।

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल का दौरा किया और हड़ताली डॉक्टरों को आंदोलन वापस लेने और सेवाओं को सामान्य करने के लिए चार घंटे का अल्टीमेटम दिया।

    उन्होंने कानून के अनुसार ‘कड़ी कार्रवाई’ की चेतावनी दी और यहां तक कहा कि कि अगर हड़ताल समय सीमा से परे जारी रही तो आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लागू कर दिया जाएगा।

    ममता बनर्जी के कड़े शब्दों पर एसएसकेएम में इमरजेंसी सेवाएं बहाल हुईं, जहां वरिष्ठ चिकित्सकों ने कार्य संभाल लिया। लेकिन हड़ताली जूनियर चिकित्सकों के रुख में नरमी नहीं दिखाई दी, जूनियर चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें ‘बाहरी’, ‘शहरी नक्सली’, ‘माकपा कैडर’ व ‘भाजपा कार्यकर्ता’ कहे जाने को लेकर उनकी निंदा की।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *