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    पर्यावरण की रक्षा के उपाय

    पर्यावरण को बचाने का अर्थ है, वृक्षों की सुरक्षा करना और हरियाली को नष्ट न करना। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमे पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों की सुरक्षा करनी होगी। हमे वृक्षों, जानवरों, पक्षियों, पौधों और पानी को बचाना होगा। जैसे कि हमें पता है पर्यावरण और जीवन एक दूसरे से जुड़े हैं। पर्यावरण अगर नष्ट हो जाएगा तो जीवन संभव नही होगा। भविष्य में धरती पर जीवन व्यापन करने के लिए हमे आज पर्यावरण को बचाना होगा।

    आज के समय में हमारे वातावरण और जलवायु में बहुत से बदलाव हो रहें हैं। यह बदलाव पृथ्वी पर जीवन के लिए नुकसानदायक है। हमें अपने ग्रह को बचाने के लिए और मानव जीवन की सुरक्षा के लिए एक साथ काम करना होगा। विश्व के सभी देशों को एक साथ आकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। छोटें और गरीब देश वातावरण के अनुकूल काम करतें हैं और इसकी सुरक्षा में भी पूरा सहयोग देतें हैं। वहीं जो देश विकसित होनें की राह पर हैं, उन्हें अपने पर्यावरण को भी महत्व देना होगा और प्रकृति को बचाने का प्रयास करना पड़ेगा।

    पर्यावरण की समस्या का समाधान

    मनुष्य जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर होता है। मनुष्य अपनी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण की मदद लेता है। किसी न किसी प्रकार से मनुष्य आज भी पर्यावरण को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए इस्तेमाल करता है। छोटी छोटी बातों को समझ कर और उन्हें अपना कर हम अपनी प्रकृति की सुरक्षा कर सकतें हैं। हम अपनी जरूरत अनुसार साधानों का उपयोग कर सकतें हैं। व्यर्थ में हमें पानी और अन्य चीज़ें बरबाद नहीं करनी चाहिए।

    पर्यावरण की रक्षा के उपाय निम्न हैं:

    1. परिवार में पर्यावरण की सुरक्षा

    हमारे सीखने की शुरूआत घर परिवार से होती है। हमारा घर ही हमारा पहला विद्यालय होता है और परिजन हमारे पहले शिक्षक होते हैं। कई कल्पनिक बातों और कहानियों के ज़रिए हम बच्चों को वातावरण की महत्वता बता सकतें हैं। घर में रखे हर पौधे की जिम्मेदारी घर के हर सदस्य को दे दी जाए, खासकर बच्चों को और उनकों उसका महत्व समझाया जाए।

    बच्चों को पेड़ों के नाम याद कराने से और उन पेड़ों से मिलने वाले फायदे बता कर बच्चों को पेड़ों की ओर आर्किषत किया जा सकता है। आप घर में पालतू जानवर को भी रख सकतें हैं। ऐसा करने से आप अपने परिवार जनों और जानवरों के बीच एक मजबूत रिश्ता जुड़वां सकतें हैं।

    2. जीवन में सरलता को अपनाना चाहिए

    कुछ सालों पहले तक बच्चों का प्रकृति के साथ एक रिश्ता होता था। वह अपना समय पेड़ों और जानवरों के साथ बीताते थे पर अब ऐसा नही है। पहले घर बड़ें होते थे और उनमें बगीचे होते थे जिसके अंदर के पेड़ों की जिम्मेदारी बच्चों को दी जाती थी। पर आज सब शहरों में आकर रहनें लगें हैं और घर के अंदर पेड़ों की जगह छोटे पौधों ने ले ली हैं।

    परिवार में सबको यह बताना होगा कि हर मौसम के हिसाब से अलग फल और सब्जियां होतें हैं। आज के समय में हम चीजों को दोबारा इस्तेमाल नहीं करते हैं। हमनें एक सिद्धांत अपनाया है कि इस्तेमाल करो और फेंकों। हमें लाईट बंद कर देनी चाहिए, अगर उनकी आवश्यकता नहीं है। हमें टपकती हुई टंकी को ठीक कराना चाहिए क्योकि टंकी के टपकने से बहुत पानी बरबाद होता है।

    3. जंगलो की सुरक्षा करना

    विकास का नया अर्थ है फैक्ट्री। जी हां, हमारी दुनिया में विकसित होने का मतलब है फैक्ट्री की स्थापना होना। ये फैक्ट्रियां वहां स्थापित होती है, जहाँ जंगल होता है। जंगल के पेड़ों को काट कर फैक्ट्रियां लगाई जाती हैं। खेतों की महत्वता पर ज़ोर दिया जाता है परंतु जंगलों पर नहीं।

    खेतों की महत्वता इसलिए बताई जाती है क्योकिं वहां से फसल पैदा होती है। पर जंगल भी हमारे लिए उतने ही आवश्यक हैं जितने की खेत। जंगलों को कई बार खेत बनाने के लिए साफ किया जाता है जो गलत है। लकड़ी पाने के लिए भी पेड़ों को कांटा जाता है पर दोबारा कोई पौधा नहीं लगाया जाता। अगर धरती पर जंगल रहेंगे तो मानव जाति को कई अनकहें फायदे होंगें। जंगल हमें फल देतें है, आर्युवेदिक दवांए देतें हैं, लकड़ी देतें हैं और ईंधन प्रदान करतें है। जंगल ही ऐसे स्त्रोत हैं जो बाढ़ से बचाव करतें हैं और मिट्टी की बरबादी को रोकतें हैं।

    रॉबर्ट चेंबर्स, जो एक स्कॉटिश वनस्पतिशास्त्री हैं, ने यह बताया कि अगर जंगल खत्म हो जाएंगे तो पानी की किल्लत होगी और खेंतो की मिट्टी की उपज भी कम होगी। उपज कम होनें के कारण फसल कम होगी जिससें जानवर और पक्षियों की मृत्यु हो जाएगी। जंगलों के खत्म होनें से बाढ़, सूखा, गर्मी, अकाल और रोग जैसी विपदाएं आएंगी।

    4. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना

    वृक्ष ऑक्सीजन के सबसे बड़े स्त्रोत हैं। जैसा कि हम सबको पता है कि ऑक्सीजन जीवन के लिए अति आवश्यक है और जीवन दायनी गैस हैं। फोटोसिनथेसिस, जो कि वृक्षों के खाने बनाने की प्रक्रिया है, से पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन गैस बनातें हैं। हमे पेड़ों को काटना नही चाहिए।

    हमे विशेष अवसरों पर दूसरों को पौधें देनें चाहिए और उन्हें पेड़ों की रक्षा के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर हर व्यक्ति एक पेड़ लगाएगा तो वातावरण में पेड़ों की संख्या कम नहीं होगी। ऐसा करने से हवा साफ होती है, प्रदुषण कम होता है और तापमान संतुलित रहता है।

    हमारे शास्त्रों में तुलसी, पीपल और आंवला को पूजनीय बताया गया है। पेड़ मानव जीवन के लिए बहुत जरूरी है और जीवन के लिए उर्जा देता है। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ उगाने चाहिए और प्रकृति की सुरक्षा करनी चाहिए।

    5. पैक किए हुए भोजन से बचे

    पैकिंग के खाने का कम से कम इस्तेमाल करें क्योंकि फैक्ट्रियों का एक तिहाई कबाड़ पैक फूड से आता है। कुछ खरीदने से पहले उससे विकसित हुए कचरे के बारे में सोचिए। हमें फल और सब्जियों का ज्यादा सेवन करना चाहिए।

    पैक हुए खाने में इस्तेमाल हुई पोलीथिन वातावरण के लिए हानिकारक होती है।

    6. लाल मांस से बचें

    बीफ और पोर्क का मांस, मछली और मुर्गी की तुलना में पर्यावरण पर ज्यादा प्रभाव ड़ालता है। नट्स और सोया का सेवन करने से प्रकृति पर कम प्रभाव पड़ता है और यह वातावरण के लिए बेहद फायदेमंद है।

    7. जैविक भोजन को अपनाए

    आज के समय में फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कीटनाशकों, रसायनों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार की सब्जियां हमारे लिए हानिकारक होती हैं। फसल में रसायनों का उपयोग बंद करने से मिट्टी की उपज बढ़ती हैं और यह वातावरण के लिए भी अच्छा होता है।

    8. जानवरों और वन्यजीव की रक्षा करनी चाहिए

    जानवरों का शिकार करने से परहेज़ करें और जानवरों की खाल से बनी वस्तुओं को न खरीदे। ऐसे जानवरों को न पाले, जो जंगलों में रहते हैं क्योंकि उन जानवरों का जीवन जंगल में ही व्यापन होना हमारे लिए सुरक्षित है और प्रकृति के लिए भी। किसी जानवर को पालने से पहले यह याद करें कि आपको उसका ध्यान रखना है और यह एक बड़ी जिम्मेदारी है।

    दूसरे देश की लकड़ी से बने समान का बहिष्कार करने का प्रयत्न करें। कई लेबलों से यह पता चलता है कि वस्तु पर्यावरण के लिए ठीक है या नहीं। एफएससी इसी प्रकार का एक मॉर्क है। अगर यह मॉर्क किसी वस्तु पर है तो जान लीजिए कि वह वस्तु खरीदने योग्य है और पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है।

    9. कम इस्तेमाल करें, दोहराए और दोबारा इस्तेमाल करें

    हम सही तरीकों का इस्तेमाल करके अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकतें हैं। हमें वस्तुं का पुर्न-इस्तेमाल करना चाहिए। एक बार उसे इस्तेमाल करके फैंकना नहीं चाहिए। आज के युग में हम इस्तेमाल कर फैंकनें की प्रक्रिया में विश्वास करतें है पर वह ठीक नहीं है। हमें उतना ही खाना लेना चाहिए।

    पन्नों को दोनो तरफ से इस्तेमाल करना चाहिए। हमें अच्छी तरह से चीजों को रखना चाहिए और उनका आकंलन करना चाहिए जिससे किसी भी चीज के बरबाद होनें के अवसर कम हो सकें। रेड लाईट पर गाड़ी का इंजन बंद कर देना चाहिए, इससे ईंधन बचता है और प्रदुषण भी कम होता है। सर्दी के मौसम में ज्यादा कपडे पहनने चाहिए नाकि हीटर का उपयोग करना चाहिए। ऐसे उत्पादनों को खरीदे जो दोबारा इस्तेमाल हो सकें। प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े या जूट के बैग का उपयोग करें।

    10. पानी का नियंत्रित इस्तेमाल करें

    पानी को बचाएं क्योंकि हम सबको पता है कि पानी ही जीवन है। सिर्फ एक प्रतिशत पानी ही पृथ्वी पर पीने लायक है। अगर हमनें इस एक प्रतिशत को भी बचानें के लिए कोई प्रयास नहीं किया तो हमारे लिए पीने का पानी नही होगा। हालातों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में पानी की कीमत सोने के बराबर हो जाएगी।

    हमें पानी को बचाना चाहिए और इसे प्रदुषित होने से भी बचाना होगा। गाड़ी धोने के लिए हमें बाल्टी का इस्तेमाल करना चाहिए नाकी पाईप का। ब्रश करते समय और शेविंग करते वक्त पानी की टंकी बंद करनी चाहिए।

    11. बिजली को बचाना चाहिए

    दिन में काम करने की कोशिश करें। लाईट और पंखो को बंद करे, जब उनकी जरूरत नही है। बिजली के बटन बंद करने से बिल में तो कटौती होती है, साथ ही बिजली की भी बचत होती है। बल्ब को सीफलएल से बदलवाएं, इससे रोशनी ज्यादा होगी और बिजली बचेगी। फोन, मोबाईल, लैपटॉप को पॉवर सेविंग मोड में इस्तेमाल करें।

    12. अक्षय उर्जा स्त्रोंतो का इस्तेमाल करना

    भारत में 71 प्रतिशत बिजली उन गैसों से बनाई जाती है जो हमारे वातावरण के लिए हानिकारक हैं। एक घर, जो कोयले पर चलता है वो एक साल में लगभग 12,000 पाउंड का कोयला जलाता है और उतना प्रदुषण करता है जितना प्रदुषण दो कार करती हैं। अगर हम अक्षय उर्जा का इस्तेमाल करें तो हम इतना प्रदुषण बचा सकतें है जितना 400 पेड़ मिलकर बचाएंगे। सौर उर्जा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होना चाहिए।

    13. अच्छी आदतें अपनाए

    धुम्रपान करने से दिल की बिमारी होती है और प्रदुषण बढ़ता है। वायु प्रदुषण का एक कारण धुम्रपान है। धुम्रपान की गतिविधि को अगर रोक दिया जाए तो वायु प्रदुषण कम हो सकता है।

    14. अपने वाहनों की देखभाल करें

    गाड़ियों के बढ़ते इस्तेमाल से प्रदुषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। समय समय पर गाड़ी की जांच कराने से और प्रदुषण के उपकरणों की सर्विस कराने से गाड़ी प्रकृति को कम नुकसान पहुंचाती है।

    सार्वजजिक वाहनों का ज्यादा उपयोग करें। कम रास्ते के लिए पैदल चलकर जाए और ऐसा करने से आपकी सेहत भी दुरूस्त रहेगी।

    सार

    वायु प्रदुषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। वैसे तो ध्वनि प्रदुषण और जल प्रदुषण की समस्या भी काफी विशाल है, पर वायु प्रदुषण अभी के लिए काफी गंभीर है। वायु को साफ करने के लिए और इस प्रदुषण के स्तर को कम करने के लिए हम पेड़ों की सहायता ले सकते है।

    पेड़ों की सहायता के लिए हमें जंगलों को रक्षा देना होगी। समाज में जागरूकता फैलाने से समस्या का समाधान हो सकता है। हम आधुनिक बन रहे है परंतु हम वातावरण को हानि पहुंचा कर अपनी सफलता की कहानी लिख रहें है। हमे जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। पेड़ पौधे एकमात्र ऐसे स्त्रोत है जो ऑक्सीजन प्रदान करते है।

    युगों पहले ऋषि मुनि आश्रमों में पैड़ पौधे लगाया करते थे और उनका ध्यान रखते थे। ऐसा करने का कारण था पर्यावरण की रक्षा करना। उनका मानना था कि पेड़ पौधे व प्रकृति जीवन प्रदान करते है।

    सभी को लगता है कि वातावरण की सुरक्षा का जिम्मा सरकार का है पर ऐसा नही है। हमें भी अपने स्तर पर वातावरण को सुरक्षित रखने की पहल करनी होगी।

    6 thoughts on “पर्यावरण की रक्षा के उपाय पर निबंध”
    1. पर्यावरण की रक्षा पर निबंध बताने के लिए धन्यवाद आपका. मेरी बेटी 5वी क्लास में है और उसके लिए निबंध की जरूरत है. इससे काफी मदद मिलेगी.

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