विषय-सूचि
पर्यावरण प्रभाव आकलन की परिभाषा (Environmental Impact Assessment aka EIA Definition in Hindi)
पिछले कुछ दशकों में पर्यावरण के हानि को ध्यान में रखे बिना कई विकास परियोजना चलाये गए। इसके कारण पर्यावरण काफी मात्रा में प्रदूषित हो गया।
इन हानियों को ध्यान में रखते हुए सरकार और आम जनता विकास के पररयोजनाओं के प्रभाव को लेकर चिंतित है। इनके कारण कितना हानि हुआ है – इसको जांचने के लिए EIA का गठन हुआ।
जो विकास परियोजनाएं लागु होने वाले हैं, उनका पर्यावरण पर क्या हानिकारक प्रभाव पड़ेगा एवं उसको कम करने के क्या उपाय हैं- इन सबके बारे में सुझाव देने के लिए EIA का गठन हुआ।
जब साल 1978 में कुछ नदी घाटी (river valley) से सबंधित परियोजना पर काम चालू होने वाला था तब EIA का गठन हुआ। यह पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के अंतर्गत आता है।
EIA अब 30 वर्गों के परियोजनाओं के लिए जरुरी है। इनको पर्यावरणीय मंजूरी (Environmental Clearance) तभी मिलता है, जब वे EIA के शर्तों को पूरा करते हैं। यह मंजूरी पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया जाता है।
जिन परियोजनाओं को भारत सरकार से मंजूरी लेने की जरुरत होती है, उनको निम्न भागों में विभाजित किया गया है :
- उद्योग
- खनन
- थर्मल पावर प्लांट
- नदी घाटी परियोजनाएं
- आधिरिक संरचना
- तटीय विनिमयन क्षेत्र (Costal Regulation Zone)
- न्यूक्लिअर पावर परियोजनाएं
कुछ व्यक्तिगत परियोजनाएं जिनके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिलनी चाहिए:
- न्यूक्लिअर पावर प्लांट या उससे सम्बन्धी परियोजनाएं जैसे कि न्यूक्लिअर ईंधन काम्प्लेक्स, खरा पानी के प्लांट आदि।
- नदी घाटी परियोजनाएं जैसे कि hydel पावर प्लांट, सिंचाई के साधन, बाढ़ को रोकने के साधन।
- बंदरगाह, हवाई अड्डा आदि।
- पेट्रोलियम रिफ़िनेरी जिसके अंतर्गत कच्चा तेल का कुआँ और पेट्रोल पाइपलाइन भी आता है।
- केमिकल खाद जैसे कि सुपरफॉस्फेट, नाइट्रोजेनस एवं फोस्फटिक खाद।
- पेस्टिसाइड (टेक्निकल)
- पेट्रोकेमिकल यौगिक जैसे कि DDT, LAB, प्लास्टिक के केमिकल आदि।
- दवाइयों की फैक्ट्री
- सिंथेटिक रबर
- डाई, सीमेंट, पेपर इलेक्ट्रॉनिक्स की फैक्टरियां
- पहाड़ एवं जंगलों के बीच पक्के रोड का निर्माण
पर्यावरण प्रभाव आकलन के पहलू (Aspects of EIA in Hindi)
- संकट का आकलन
- पर्यावरणीय प्रबंधन
- उत्पाद की निगरानी (Monitoring of Post Product)
पर्यावरण प्रभाव आकलन का काम (Work of EIA in Hindi)
- यह उचित निर्देशों के साथ पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य करता है।
- वैज्ञानिक उपायों का उपयोग एवं किसी पर्यावरण संकट को कम करने के लिए सुझाव देना।
- ऐसे सारे प्रावधानों का ध्यान रखना जिससे पर्यावरण पर थोड़े या ज्यादा समय के लिए प्रभाव पर सकता है।
- उन सभी उपायों का ध्यान रखना जिससे जीव जंतुओं की रक्षा हो सके।
- कोई भी निर्णय लेने से पहले जनता की सलाह भी लेना।
पर्यावरण प्रभाव आकलन के लाभ (Benefits of EIA in Hindi)
- विकास परियोजनाओं के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए या मिटाने के लिए EIA कम लागत वाले तरीके अपनाता है।
- विकास परियोजना के लागु होने के बाद इनका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा – EIA इस बात का विश्लेषण करता है।
- विकास के प्लान में न्यूनीकरण रणनीतियां (mitigation strategies) हो – EIA इस बात का ध्यान रखता है।
- EIA इस बात का ध्यान रखता है कि विकास का जो प्लान बना है वो पर्यावरण को ध्यान में रख के बना हो और पारिस्थिकी तंत्र का संतुलन बना रहे।
- EIA पर्यावरण और विकास परियोजना को जोड़ने का काम करते हैं। इनका यह उद्देश्य है कि विकास पर्यावरण के प्रतिरूप में हो।
पर्यावरण प्रभाव आकलन के पर्यावरणीय अवयव (EIA – Environmental Components)
EIA के अंतर्गत पर्यावरण के निम्नलिखित अवयव की देखभाल होती है :
हवा
- हवा के गुणवत्ता का मानक (Air Quality Standard), प्रदूषण का मानक
- किसी क्षेत्र में प्रदूषण उत्सर्जन (emmission) का प्रभाव
- किसी विकास परियोजना से कितना प्रदूषण मात्रा हवा में उत्सर्जित होगा।
- मौसम सम्बन्धी तथ्य जैसे कि हवा की गति, दिशा, नमी आदि।
- प्रदूषण का आसपास के वातावरण पर कितना प्रभाव पड़ेगा।
शोर
- शोर का कितना स्तर रहेगा
- शोर के स्तर को कैसे कम किया जायेगा।
पानी के स्रोत
- किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले पानी के स्रोत, उनका स्तर एवं भूजल (groundwater) स्तर
- प्रस्तावित परियोजना का जल स्रोतों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
जैविक पर्यावरण
- प्रस्तावित क्षेत्र में पाए जाने वाले वनस्पति और जीव
- जब वे परियोजना स्थापित हो जायँगे तो उनका जैविक वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- जैविक तनाव
भूमि
- मिट्टी की विशेषता, भूभाग का उपयोग, जल निकासी पैटर्न – यह सब विकास परियोजना के कारण प्रभावित होंगे।
- ऐतिहासिक स्मारक एवं स्थलों पर होने वाले प्रभाव
भारत में पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA Assessment Procedure in India in Hindi)
भारत सरकार के पर्यावण मंत्रालय द्वारा एक मूल्यांकन समिति का गठन किया जाता है, जो किसी विकास परियोजना अधिकारियों द्वारा परियोजना से सम्बंधित तथ्यों की जाँच करता है।
जरुरत पड़ने पर मंत्रालय निवेशकों एवं पर्यवरण विषय के अन्य विशिष्ट जानकारों की भी राय लेता है। जब परियोजना के सभी तथ्यों की जाँच हो जाती है, तो पर्यावरण के लाभ को ध्यान में रखते हुए उस आधार पर मंजूरी दी जाती है।
अगर परियोजना से सम्बंधित पूरी जानकारी जमा की गई है तो 90 दिनों के भीतर परिणाम आ जाता है।
मंत्रालय के ऐसे छह दफ्तर हैं जो इस प्रकार के विकास परियोजनाओं को मंजूरी देना का काम करते हैं – लखनऊ, भोपाल, बंगलौर, चंडीगढ़, शिलांग और भुवनेश्वर।
पर्यावरण प्रभाव आकलन की कमियाँ (drawbacks of eia in hindi)
- कई सारे ऐसे परियोजनाएं हैं जो पर्यावरण पर प्रभाव दाल सकते हैं किन्तु उनका नाम सूचि में नहीं होता या उनमे किया गया निवेश निर्धारित निवेश से कम होता है।
- कई बार यह भी देखने में आता है कि EIA में नियुक्त प्रतिनिधि को उनके क्षेत्र जैसे पर्यावरण, जीव विज्ञान आदि का उपयोगी ज्ञान नहीं होता जिससे वे सामाजिक दृष्टि से उस परियोजना का अवलोकन नहीं कर पाते।
- शुरुआती दौरों में जनता के राय को अहमियत नहीं दी जाती है, जिससे बाकि के दौर में परियोजना को मंजूरी मिलने में कठिनाई होती है।
- कुछ परियोजनाओं के लिए कई बार जनता कि राय ली ही नहीं जाती।
- इन परियोजना से सम्बंधित जो सुचनायें सार्वजानिक की जानी चाहिए, वह नहीं किया जाता।
- किसी क्षेत्र के लोगों के स्थानीय तथ्यों को नहीं माना जाता है।
- कई बार इन रिपोर्टों में आधा अधूरा एवं झूठा तथ्य पेश किया जाता है।
EIA का काम ठीक से हो, इसलिए सरकार को हमेशा यह सुझाव दिया जाता है कि इस कमिटी को स्वतन्त्र रूप से काम करने दिया जाये, EIA के तथ्यों को केंद्रीकृत किया जाये, स्थानीय लोगों के राय को शामिल किया जाये।
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