विषय-सूचि
परासरण डिफ्फ्यूज़न का प्रकार है, जो मुख्य रूप से कोशिकाओं से संबंधित है। डिफ्फ्यूज़न वह प्रक्रिया है जिसमे अणु, परमाणु या कोई भी वस्तु उच्च सांद्रता (हाई कंसंट्रेशन) से कम सांद्रता (लो कंसन्ट्रेशन) की ओर जाती है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
परासरण क्या है? (osmosis meaning in hindi)
जब कोई पदार्थ कंसंट्रेशन का संतुलन बनाए रखने के लिए किसी अर्ध पारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) से आर पार होता है, तब उसे परासरण कहते हैं।
कोशिकाओं में यह तब होता है जब कोई विलायक (सॉल्वेंट) जैसे पानी, नमक के कंसंट्रेशन को संतुलित रखने हेतु कोशिका के अंदर या बाहर जाता है। ये प्रक्रिया स्वाभाविक है और इसमें कोशिका की कोई ऊर्जा खर्च नहीं होती।
विलेय और विलायक (solute and solvent in hindi)
ऑस्मोसिस एक सॉल्यूशन में ही होता है। सॉल्यूशन दो चीजों से बनता है, सौल्युट और सॉल्वेंट। सौल्युट वह, जो कम मात्रा में हो और जिसे घोला जाए।
सॉल्वेंट वह, जो अधिक मात्रा में हो, और जिसमे घोला जाए। अगर हम चीनी का पानी लें, तो चीनी सौल्युट है और पानी साल्वेंट।
विलयन के प्रकार (types of solution in hindi)
अलग अलग प्रकार के विलयन संभव हैं। जैसे-
- आइसोटोनिक
- हाइपरटोनिक
- हाइपोटोनिक
इन सभी सॉल्यूशन्स का कोशिका पर ऑस्मोसिस के समय अलग अलग प्रभाव पड़ता है।
आइसोटोनिक विलयन (isotonic solution in hindi)
जब कोशिका ऐसे सॉल्यूशन में हो, जिसमे सौल्युट का कंसंट्रेशन कोशिका के अंदर और बाहर बिल्कुल एक समान हो, तब उसे आइसोटोनिक सॉल्यूशन कहेंगे।
ऐसे में कोशिका के अंदर भी उतना ही सॉल्वेंट जाता है जितना कि उसके बाहर आता है। इसलिए साल्वेंट का कुल कोई हिलना डुलना नहीं होता।
हाइपरटोनिक विलयन (hypertonic solution in hindi)
ऐसा सॉल्यूशन, जिसका कंसंट्रेशन उसमे रखी कोशिका के सौल्युट कंसंट्रेशन से ज़्यादा हो, तो उसे हाइपरटोनिक सॉल्यूशन कहेंगे। कंसंट्रेशन के एक समान करने के लिए कोशिकाके अंदर से साल्वेंट या पानी बाहर निकलेगा।
हाइपोटोनिक विलयन (hypotonic solution in hindi)
इस सॉल्यूशन में कोशिका के अंदर का सौल्युट कंसंट्रेशन बाहर से सॉल्यूशन से अधिक होता है। इसलिए बाहर से सॉल्वेंट कोशिका के अंदर आएगा, जिससे कंसंट्रेशन आंतुलित हो जाए।
कोशिका पर विलयन का प्रभाव (cell effect on solution in hindi)
विभिन्न सॉल्यूशन्स का जानवरों की कोशिकाओं ( एनिमल सेल ) और पौधों की कोशिकाओं ( प्लांट सेल ) पर अलग असर पड़ता है, क्योंकि दोनों की क्षमताएँ भी भिन्न होती हैं।
अगर किसी एनिमल सेल को हाइपोटोनिक सॉल्यूशन में रख दिया जाए, तो कंसंट्रेशन को संतुलन में लाने के लिए सॉल्वेंट सेल के अंदर सेल मेम्ब्रेन द्वारा घुस जाएगा और वह सेल ( कोशिका ) फूल जायगी और अंततः फट जाएगी।
परंतु जब इसी सॉल्यूशन में प्लांट सेल को रखेगे, तब वह अपनी मोटी कोशिका भित्ति ( सेल वॉल ) के कारण फटेगा नहीं, बस फूल जाएगा। यह वातावरण प्लांट सेल के लिए इष्टतम है।
एनिमल सेल के लिए आइसोटोनिक सॉल्यूशन उच्चतम होता है। क्योंकि इसमें ना ही सॉल्वेंट अंदर जाता है ना बाहर। जबकि प्लांट सेल को इसमें रखा जाए, तो पानी ( सॉल्वेंट ) नहीं ले पाने के कारण कुछ समय पश्चात उसकी पत्तियां सीधी न रहकर नीचे की ओर लटक जाएँगी।
हाइपरटोनिक सॉल्यूशन दोनो ही तरह की कोशिकाओं के लिए घातक है। इसमे होने से कोशिका के भीतर कम कंसंट्रेशन रहेगा, जिस कारणवश सारा पानी कोशिका से बाहर की ओर जाएगा, और वह कोशिका सूख कर पिचक जाएगी ( प्लांट सेल में इसे प्लाज़्मोलाइज़ेशन कहेंगे)।
इसी वजह से जब किसी घोंगे या छोटे कीड़े पर हम नमक डालते हैं, तो वह सिकुड़ के मर जाता है।
परासरण के कुछ उदाहरण (examples of osmosis in hindi)
देर तक पानी मे नहाने के कारण हमारी उंगलियाँ सिकुड़ सी जाती है। शरीर में ज़्यादा कंसंट्रेशन होने से पानी उंगलियों के अन्दर चला जाता और उंगलियाँ वैसी दिखती हैं।
पेड़ पानी भी ऐसे ही लेते हैं। जड़ों में ज़्यादा कंसंट्रेशन होता है। तो पानी पेड़ में आ जाता है। पानी आने से पेड़ की कोशिकाएँ फूल जाती हैं। उनके फूलते ही गार्ड सेल्स ( जो पत्तों के नीचे होते हैं ) खुलते हैं, जिनसे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान प्रदान होता है।
कॉलरा होने पर आंतों में बैक्टीरिया हो जाते हैं, जिस कारण आंतें पोषक तत्व सोख नहीं पाती जो कि मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
इसी तरह अगर किसी समुद्र की मछली को तालाब में डाल दिया जाए, तो ऑस्मोसिस उल्टी दिशा में होने से वह मछली मार जाएगी।
संबंधित परिभाषाएँ
डिफ्फ्यूज़न (diffusion)– अणुओं का उच्च कंसंट्रेशन से निच्च कंसंट्रेशन की ओर अवभाविक रूप से जाने को डिफ्फ्यूज़न कहते हैं। ओसमोसिस भी एक प्रकार का डिफ्फ्यूज़न ही है।
सॉल्यूशन (solution)– दो या अधिक पदार्थों से बना, जिसमे एक प्रदार्थ ( सौल्युट ) को दूसरे में ( सॉल्वेंट ) में घोला जाता है, वह सॉल्यूशन कहलाता है।
अर्ध पारगम्य (semi-permeable) – वह बाधा जो कुछ चुने हुए पदार्थो को आर पार होने दे, उसे अर्ध पारगम्य कहते है। कोशिकाओं की झिल्ली ( मेम्ब्रेन ) अर्ध पारगम्य होती है।
कोशिका (cell) – कोशिका वह सबसे छोटी इकाई है, जिससे जीवित प्राणी बने हैं। उसके कई छोटे अंग भी होते है, और उसी में हमारा डीएनए, अनुवांशिक जानकारी और प्रोटीन बनता है।
osmotic pressure kya hota hai? jab ek membrane se dusre mein water enter karta hai, to konsi membrane par lagne wala pressure osmotic presssure hota hai?
Semi permeable membrane
Semi pemeable membrane body me kaha hoti h ?
Ye cell ki sabse outer layer hoti h. Jisse hm cell wall bhi kahte h
please tell any example of ardh pargamya jhilli?
Semipermeable oo hota hai ki ye kuch padartho ko apne under Jane deta hai aur kuch ko nahi Jane deta example strainer chai tea channe wala
Osmosis
viley aur vilaayak mein kya bhinnta hoti hai? ye kis prakaar alag hote hain ?
Hypertonic solution ko dono tarah ki kosikao ke liye ghatak Kyu bataya Gaya hai? Kya ye unhe nasht kar deta hai?
Hypotonic me dono taraf jyada temperature hota h tb brust ho jata h example anda aur temperature
Semipermeable membrane are found in intestines & blood capillary becoz they are absorbable from micro nutrients when body requirements.
Agar diffusion me adhik concentration se kam concentration ki or water jata hai to..
Root adhik concentration wala hota hai to wo water ko absorb kyu krta hai…