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    परपोषी पोषण heterotrophic nutrition in hindi

    पोषण मुख्यत्त दो प्रकार के होते हैं:

    • स्वपोषी पोषण
    • परपोषी पोषण

    इस लेख में हम परपोषी पोषण (heterotrophic nutrition) के बारे में बात करेंगे।

    विषय-सूचि

    परपोषी पोषण क्या है? (what is heterotrophic nutrition in hindi)

    इस तरह का पोषण अन्य पौधे और जानवरों के कोशिका द्वारा बनाए गए और्गानिक कौम्पाउंड के हजम होने से बनता है। जानवर, और वो पौधे जो हरे नहीं होते हैं, अपना खाना खुद बनाने में असमर्थ होते हैं, जिसके कारण वो एक दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं। इन्हें कहते हैं परजीवी (heterotrophs)।

    इन हैटीरोट्रोफ्स में क्लोरोफिल की अनुप्सस्थिति के कारण, फोटोसिंथेसिस होना मुमकिन नहीं है।

    परपोषी पोषण के उदाहरण (examples of heterotrophic nutrition in hindi)

    परपोषी पोषक मुख्य रूप से मानव और जानवर होते हैं। इसमें कुत्ते, बिल्ली, इंसान, शेर, बाकि आदि शामिल हैं।

    इसके अलावा कुछ पौधे भी परपोषी होते हैं। उदाहरण के तौर पर, पिचर का पौधा परपोषी होता है। यह कीड़े-मकोड़ों को खाता है।

    लेकिन ज्यादातर हरे पेड़-पौधे अपना भोजन खुद बनाते हैं और इसलिए स्वपोषी होते हैं।

    परपोषी पोषण के प्रकार (types of heterotrophic nutrition in hindi)

    परपोषी पोषण को और भी तीन तरह में बाँट सकते हैं:

    • होलोजोइक पोषण
    • सैप्रोफाइटिक पोषण
    • पैरासिटिक पोषण

    होलोज़ोइक पोषण (holozoic nutrition in hindi)

    इस पोषण का नाम एक ग्रीक शब्द से लिया गया है, जहाँ होलोज़  का अर्थ है पूरा, और ज़ून  का अर्थ है जानवर। यहाँ, खाना मुँह के ज़रिए अंदर जाता है, और इसे हम इंजेशन कहते हैं।

    खाने के बाद, खाने के तत्व और भी सरल बन जाते हैं जिसे हम कहते हैं डाइजेशन। अंत में, सारे आवश्यक तत्व हमारे शरीर तक पहुँच जाते हैं और सारे अनावश्यक तत्वों को, हमारे शरीर से निकाल दिया जाता है।

    इस पूरे प्रक्रिया को, जो अनावश्यक तत्वों को हमारे शरीर से बाहर निकालती है, उसे हम इजेशन कहते हैं। इस तरह के पोषण में, यानी होलोज़ोइक पोषण में, इंजेशन, डाइजेशन और इजेशन की सारी प्रक्रियाएँ पाईं जाती है।

    सैप्रोफाइटिक पोषण (saprophytic nutrition in hindi)

    सैप्रोफाइटिक पोषण का नाम भी एक ग्रीक शब्द से लिया गया है, जहाँ सैप्रो  का अर्थ है सड़ा हुआ, और फाइटो  का अर्थ है पौधे। इस तरह के पोषण में जीव के सड़े हुए और मरे हुए और्गानिक तत्वों को डीकम्पोज़ किया जाता है।

    मश्रूम, ईस्ट, और मोल्ड जैसे फुई इस तरह का पोषण अपनाते हैं। सैप्रोफाइटिक पोषण वातावरण को साफ रखता है, लेकिन ब्रेड, केक आदि जैसे खान-पान की खराबी का कारण भी बन सकता है।

    पैरासिटिक पोषण (parasitic nutrition in hindi)

    पैरासिटिक भी एक ग्रीक शब्द से लिया गया है। पैरा  का अर्थ है खाना, और साइट  का अर्थ है दाने। इस तरह का पोषण एक ऐसा पोषण है जहाँ एक जीव, जिसे पैरासाइट कहते हैं, किसी दुसरे जीव के अंदर या ऊपर बैठ जाता है। इस दूसरे जीव को हम होस्ट कहते हैं। इसका एक उदाहरण है – हुक वर्म।

    ये जीव इंसानो के पेट में रहते हैं और इनके आंत को ही अपना खाना समझते हुए, बिना इंजेशन या इजेशन के, खा जाते हैं। ऐसा पोषण, उन जीव में पाए जाते हैं जिन्हें ठीक तरह के अंग नहीं होते, और वो अपने होस्ट पर पूरी तरह से निर्भर होते हैं। टेप वर्म, लीच, और प्लैस्मोडिअम जैसे जीव इस तरह के पोषण के शिकार हैं।

    कभी-कभी कुछ जीव अपने होस्ट के अंदर नहीं बल्कि उनकी चमड़ी पर बैठकर इस पूरे प्रक्रिया को आकार देते हैं। मच्छर और लीच इस तरह के जीव के लिए एकदम सही उदाहरण हैं, जहाँ वो अपने होस्ट की चमड़ी पर बैठकर, उनका खून चूस लेते हैं। ऐसे जीव को एक्टोपैरसाइट कहते हैं।

    हैटीरोट्रोफिक पोषण के आधार पर जानवरों और पौधों को ऊपर बताए गए पोषण के तरीकों में बाँटा जा सकता है, और ये हमारे ईकोसिस्टम के कंस्युमर्स कहलाते हैं।

    इस विषय में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो, तो आप नीचे कमेन्ट कर सकते हैं।  

    10 thoughts on “परपोषी पोषण क्या है? जानकारी, प्रकार”
    1. Mujhe saprophytic nutrition ke baare me thoda detail me samjhaiye i couldn’t understand

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