सरकार द्वारा हाल ही में प्रमाणित किये गए आंकड़ों के अनुसार हर परिवार के एक सदस्य को न्यूनतम आय गारंटी देने के लिए पूरे 7 लाख करोड़ की लागत लगने का अनुमान है।
कैसे लगाया गया अनुमान :
न्यूनतम आय गारन्टी की कुल लागत एक अनुमान लगाने के निम्न तरीके का प्रयोग किया गया। कुल आय की गणना करने के लिए एक दिन की न्यूनतम आय 321 रूपए मानी गयी। इससे एक महीने में एक व्यक्ति की कुल आय 9630 रूपए हुई।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया की जैसा की राहुल गाँधी ने कहा की यदि लोकसभा चुनावों में उन्हें जीत मिलती है तो वे योजना को लागू करेंगे। लेकिन यदि इस योजना में18-20% घरों को लक्षित किया जाता है तो इसकी अनुमानित लागत 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है।
इन कारणों से नहीं लागू हो सकेगी यह योजना :
समाज के सबसे गरीब लोगों के लिए पेश की जाने वाली योजना को सरकार पर एक बोझ की तरह देखा जाएगा। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सरकार अभी जो सिस्ब्सिद्य आदि की योजना चला रही है और यह योजना भी लागू कर दी गयी तो सरकार पर वित्तीय भार बहुत अधिक बढ़ जाएगा और सरकार के लिए इसका प्रबंधन बहुत कठिन हो जाएगा।
इस स्कीम पर मुख्या चिंता यह थी की उन लोगों की पहचान कैसे की जायेगी जिन्हें सेवा देनी है। इसका उत्तर पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम ने देते हुए कहा की इसके लिए एक निश्चित मूल्य से ऊपर की कार, एसी आदि यदि लोगों के पास है तो वे इस योजना का फायदा नहीं उठा पायेंगे। अतः इस तरह इस स्कीम का केंद्र गरीबों पर किया जा सकेगा और मुख्यतः गरीब ही इससे लाभान्वित हो सकेंगे।
मोदी सरकार की यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम की जानकारी :
यूनिवर्सल बेसिक स्कीम के तहत देश के हर नागरिक के बैंक खाते में सीधे एक फिक्स्ड अमाउंट ट्रांसफर किया जाएगा।
- इस योजना के तहत लोगों की सामाजिक और आर्थिक अवस्था मायने नहीं रखती है।
- यूबीआई की सबसे खास बात है कि यह सबके लिए होगा. यह किसी खास वर्ग को टारगेट करके नहीं लागू किया जाएगा।
- यह बिना शर्तों का होगा यानी किसी व्यक्ति को अपनी रोजगार की स्थिति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति को साबित करने की जरूरत नहीं होगी।
- यूबीआई के तहत सिर्फ जीरो इनकम वाले लोगों को ही इस सुविधा का पूरा लाभ मिलेगा।
- ऐसे लोग जिनकी बेसिक इनकम के अलावा भी आमदनी का जरिया होगी, उनके इनकम पर टैक्स लगाकर सरकार फायदे को कंट्रोल करेगी।