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    न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति बोबडे की सिफारिश की थी।

     

    नागपुर में 24 अप्रैल, 1956 को जन्मे बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक किया और कानून की डिग्री ली।

    उन्हें 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के रॉल के लिए नामांकित किया गया और 1998 में वह वरिष्ठ अधिवक्ता बन गए।

    न्यायाधीश के तौर पर उनका करियर 29 मार्च, 2000 को शुरू हुआ, जब उन्हें बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

    इसके बाद 16 अक्टूबर, 2012 को वह मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिए गए। 12 अप्रैल, 2013 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया।

    न्यायमूर्ति बोबडे भारतीय इतिहास में सबसे लंबे चले अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य रह चुके हैं।

    इसके अतिरिक्त वह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों से संबंधित विवादित मामले की आंतरिक समिति के सदस्य रहे और उन्होंने पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई आधार नहीं मिलने का हवाला देकर गोगोई को निर्दोष करार दे दिया था।

    न्यायमूर्ति गोगोई ने तीन अक्टूबर, 2018 को 46वें सीजेआई का कार्यभार संभाला था और रविवार को वह सेवानिवृत्त हो गए।

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