Thu. Dec 19th, 2024
    नोटबंदी

    नोटबंदी हुए लगभग 2 साल बीत चुके हैं। सरकार ने 8 नवंबर 2016 को देश भर में एक साथ ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ चलाया था, इसके तहत 9 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 तक बैंकों में नोटों को जमा करने का सिलसिला चलता रहा था।

    इसी क्रम में आयकर विभाग ने करीब 23.5 लाख संदेहजनक खातों में से 11.8 लाख खाते जो अति संदेहजनक श्रेणी में आ रहे थे, उन्हे तत्काल नोटिस भेज दिया था। इसके तहत ऐसे लोगों को अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना था।

    इस तरह से आयकर विभाग नें ऐसे करीब 6 लाख पैन कार्ड धारकों को भी नोटिस भेजा, जिन्होने अपने जीवन में कभी भी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया था। इसी के बाद से करीब 1.5 लाख लोगों ने तो रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया, लेकिन बचे हुए अन्य नोटिस धारकों ने अभी तक कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया है।

    यह समस्त जानकारी वित्त राज्य मंत्री राजीव प्रताप शुक्ला ने राज्य सभा में 7 अगस्त 2018 के दिन रखी थी। राजीव प्रताप शुक्ला के अनुसार उनके द्वारा दी गयी जानकारी एक आरटीआई के जवाब में थी, जिसमें नोटबंदी के बाद करदाताओं की संख्या में हुए इजाफे के बारे में पूछा गया था।

    यह भी पढ़ें: नोटबंदी से लगभग 35 लाख लोगों की गई नौकरियां: रिपोर्ट

    शुक्ला ने सभा को बताया था कि ऐसे 2.1 लाख पैन धारकों से करीब 6,410 करोड़ रुपये का कर भी वसूला गया है।

    मालूम हो कि नोटबंदी के बाद देश में करदाताओं की संख्या में गजब का उछाल देखने को आया है। नोट बंदी को लेकर एक ओर जहाँ सरकार अपने हर चुनाव में इसका गुणगान करती रही है, वहीं विपक्ष नोटेबन्दी के चलते सरकार को घेरने में पूरी तरह असमर्थ रही है।

    मालूम हो कि वित्तीय वर्ष 2016 में कर दाताओं की संख्या 5.9 करोड़ थी, जो वित्तीय वर्ष 2017 में बढ़कर 7.8 करोड़ पहुँच गयी वहीं वित्तीय वर्ष 2018 के अंत तक उम्मीद है कि कर दाताओं कि संख्या 10 करोड़ के आसपास पहुँच सकती है।

    यह भी पढ़ें: नोटबंदी के फायदे और नुकसान

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *