Fri. Apr 19th, 2024
    नोटबंदी बेरोजगारी

    भारतीय अर्थव्यवस्था की देखरेख करने वाली एक संस्था सीएमआइई की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवम्बर 2016 में हुई नोटबंदी की वजह से कम से कम 35 लाख लोगों नें अपनी नौकरियां गँवा दी थी।

    सीएमआइई के मुख्य अधिकारी महेश व्यास नें इस बात की जानकारी दी। महेश नें बताया कि इस रिपोर्ट को बनाने के लिए लगभग 1.72 लाख घरों का सर्वे किया गया था।

    उन्होनें यह भी बताया कि नोटबंदी की वजह से उन जवान लोगों पर काफी असर पड़ा जो जल्द ही नौकरी की दुनिया में कदम रखने वाले थे। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इससे ज्यादा बुरा असर पड़ा है।

    इस बारे में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य सुरजीत भल्ला नें सीएमआइई की रिपोर्ट पर कई सवाल उठाये।

    भल्ला नें कहा कि इस रिपोर्ट के मुताबिक लेबर मार्किट में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 10 फीसदी है, लेकिन अन्य कई रिपोर्ट बताती हैं, कि इस क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 25 फीसदी के आसपास है।

    भल्ला नें यह भी कहा कि देश में बेरोजगारी के बारे में जानने के लिए इस रिपोर्ट पर विश्वास करना सही नहीं है, क्योंकि इसकी जानकारी अधूरी है।

    इस रिपोर्ट की जानकारी महेश व्यास नें कल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर पर दी थी, जहाँ भारत में रोजगार पर बातचीत हो रही थी।

    व्यास नें इस दौरान बताया था कि इस सर्वे के दौरान उन लोगों को शामिल किया गया था, जो नवम्बर 2016 से चार महीने पहले तक नौकरी से जुड़े थे। उनके मुताबिक सिर्फ नोटबंदी की वजह से लगभग 35 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।

    महेश नें इस दौरान यह बताया कि नोटबंदी के तुरंत बाद तो लगभग 1.2 करोड़ लोगों की नौकरियों पर इसका असर पड़ा था।

    व्यास के मुताबिक़, “कहानी इनके बीच में कहीं भी हो सकती है, शुरूआती झटके से 1.27 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे, लेकिन अगले महीने तक यह नीचे गिरकर 35 लाख लोगों तक पहुँच गयी थी।”

    व्यास नें यह भी बताया कि इसका सबसे पूरा असर श्रमिकों पर पड़ा था। उन्होनें कहा कि यह तो निश्चित है कि लगभग 35 लाख नौकरियां गयी थीं, लेकिन श्रमिकों की संख्या में 1.5 करोड़ तक की कटौती हुई थी।

    उन्होनें कहा कि नोटबंदी से पहले जो लोग बेरोजगार थे, उन्होनें नोटबंदी के बाद नौकरी ढूँढना ही छोड़ दिया था।

    भल्ला नें इसपर यह कहा कि अक्टूबर में एनएसएसओ की रिपोर्ट आएगी जिसमें देश में रोजगार पर एक बेहतर तस्वीर पेश हो सकेगी।

    इस बैठक में नीति आयोग के चेयरमैन राजीव कुमार भी शामिल थे, जिन्होनें बैठक की अध्यक्षता की थी।

    सुचना स्त्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *