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    देश डिजिटल ट्रांजैक्शन

    नोटबंदी का एक फायदा यह रहा कि देश डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ चुका है। हांलाकि नोटबंदी के कुछ महीनों बाद डिजिटल ट्रांजैक्शन की प्रतिशतता में कुछ गिरावट देखने को मिली फिर भी देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऐसे में छोटे स्तर पर ही सही,कहीं ना कहीं जनता और सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता की शुरूआत हो चुकी है।

    बैंकों के अनुसार नोटबंदी के बाद दिसंबर और जनवरी महीने में डिजिटल ट्रांजैक्शन में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली लेकिन मार्केट में पर्याप्त नए नोट आने जाने के बाद इस प्रक्रिया में थोड़ी सी स्थिरता आई। आरबीआई आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी से पहले देश का कैश सर्कुलेशन 17.9 लाख करोड़ रुपए था लेकिन अभी वर्तमान में कैश सर्कुलेशन 16.9 लाख करोड़ रुपए है।

    पिछले साल दिसंबर में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या 100 करोड़ थी, यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहीं इस साल सितंबर महीने में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या 87.7 करोड़ रही है। मार्केट में पर्याप्त नोटों के आने के बाद भी डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या का 87.7 करोड़ पर टिके रहना भारत जैसे देश के लिए एक मिसाल है।

    एक्सिस बैंक के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजीव आनंद का कहना है कि वर्तमान में डिजिटल ट्रांजैक्शन की औसत संख्या 180-190 है। उन्होंने कहा कि नॉर्मल तरीके से डिजिटल ट्रांजैक्शन को 80 से 90 फीसदी तक बढ़ने में तीन साल लग जाते। ऐसे में इतना तो तय है कि नोटंबदी के चलते देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन तेजी से बढ़ा है।

    राजीव आनंद का कहना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन का यह ग्रोथ तो अभी शुरूआती है, बाद में इसकी संख्या में तेजी से इजाफा देखने को मिलेगा। बैंक अधिकारियों का कहना है कि नोटबंदी के बाद अब धीरे-धीरे कैश सर्कुलेशन अपनी पूर्व स्थिति में आ चुका है, बावजूद इसके डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है। ऐसे में यह बात साबित हो रही है कि लोगों में डिजिटल ट्रांजैक्शन की आदत बढ़ी है। अब लोग डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। ऐसे में एटीएम यूजर्स की संख्या भी घटी है।