भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार को आड़े हाथो लेते हुए उनका जमकर विरोध किया और सरकार द्वारा लायी गयी सभी बड़ी नीतियों को देश की अर्थव्यस्था के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि सरकार देश कि अर्थव्यस्था को सदृढ़ बनाने में असफल रही और साथ ही देश को आज बहुत बड़े आर्थिक संकट की ओर ला खड़ा किया है।
दरसल, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने एक निजी वेब साइट को अपना इंटरव्यू देते हुए कहा कि “नोटबंदी एक विनाशकारी योजना साबित होने जा रही है। इसके फलस्वरूप कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत हानि हुई है। जीडीपी (स्कल घरेलू उत्पाद) का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक अंदेशा है. इसका हमारे समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों तथा व्यापार पर जो प्रभाव हुआ है, वह अर्थव्यस्था के सभी पैमानों से परे है।”
मनमोहन सिंह ने नोटेबंदी को देश कि अर्थव्यस्था के लिए सबसे घातक नीति बताया, उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण देश के लघु उद्योगों को बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है जिससे नौकरियां समाप्त हो गयी है और उनका उत्पादन करना एक सबसे बड़ी चुनौती बन चूका है। उन्होंने नोटबंदी का विरोध करते हुए कहा कि ‘मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं. हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है. नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा”।
कुछ इसी तरह के मुद्दों को आधारशिला बनाकर मनमोहन सिंह गुजरात दौरा मंगलवार से आरम्भ करेंगे और वहां के व्यापारियों से मिलेंगे व जन को सम्बोधित करेंगे। कांग्रेस गुजरात विधानसभा जितने का हरसंभव प्रयास कर रही है क्यूंकि शायद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह चुनाव कांग्रेस का भविष्य निर्धारित करेगा।