संसदीय दल नेपाली कांग्रेस ने मंगलवार को एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी और कहा कि केपी शर्मा ओली सरकार विभिन्न बिलों को संसोधित कर रही है जो नेपाली संविधान प्रस्तावना और प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है। विपक्षी पार्टी ने सत्ताधारी पार्टी पर संसदीय समिति के साथ सदस्यों के विचारों को तवज्जो न देने का आरोप लगाया था जिसमे नागरिकता बिल, फ़ेडरल सिविल सर्विस बिल और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी बिल शामिल है।
एनसी ने कहा कि “कोई भी बिल जो नेपाली संविधान की प्रस्तावना और प्रावधान का उल्लंघन करता हो नेपाली कांग्रेस को स्वीकार नहीं है। एनसी ने सरकार से आग्रह किया कि उन बिलों को संसोधित करे जिससे संविधान के प्रावधानों और आत्मा को ठेस पंहुचती हो।”
एनसी के बालकृष्ण खंड ने कहा कि “वे नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के इस इरादे के विरोध में हैं जो विवादित विधेयको को बगैर किसी चर्चा के अमल में लाना है। जैसे कोई भी विदेशीं महिला नेपाल की नागरिकता के लिए नेपाली व्यक्ति से विवाह कर सकती है और उसे तत्काल नागरिकता मुहैया कर दी जाएगी।
खंड ने कहा कि “कुछ सत्ताधारी एनसीपी के सांसदों ने इस प्रावधान में परिवर्तन की मांग की है जैसे विदेशी महिला का नेपाली व्यक्ति के साथ विवाह के बाद नागरिकता देने से पहले कुछ वर्षो का इन्तजार करना चाहिए। यह तर्कहीन है और हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं।”
उन्होंने कहा कि “सूचना तकनीक बिल में भी खामियां है जैसे इसमें नागरिको की अभिव्यक्ति की आज़ादी और प्रेस फ्रीडम को दबाया जा सकता है।” खंड ने कहा कि “सूचना तकनीक बिल का मकसद न सिर्फ ऑनलाइन मीडिया पर पाबन्दी लगाना है बल्कि सरकार की आलोचना करने वाले लोगो की हिम्मत को तोडना है। हम ऐसे प्रावधानों को समर्थन नहीं करेगे। एनसी चाहता है कि तत्काल ऐसे प्रावधानों को बिल से हटा दिया जाए।”
एनसीपी के प्रमुख देव प्रसाद गुरुंग ने कहा कि “एनसी द्वारा विरोध किये गए बिलों को होल्ड पर रखा है। हमसे तक़रीबन सभी विधेयको को विपक्षी पार्टियों के साथ आम सहमति से पारित किया है और अन्य बिलों के साथ भी ऐसा ही करना चाहते हैं। “