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    शाह महमूद कुरैशी

    पाकिस्तान ने मंगलवार को दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान को इस ग्रह में सबसे बड़े पिंजराबंद जेल में परिवर्तित कर दिया है। अनुच्छेद 370 को हटाया और मानव अधिकारों को बेदर्दी के साथ रौंद दिया गया है। यूएन मानव अधिकार परिषद् पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया कि “विश्व भी बर्बरता से जूझ रहे कश्मीरियों के बारे में बात कर रहा है।”

    यूएन की सभा में पाक मंत्री का बयान

    उन्होंने कहा कि “मैं भारतीय प्रशासित कश्मीर की याचिका को देना चाहूँगा जिनके मूल मानव अधिकारों को भारत द्वारा बल के साथ रौंद दिया गया है। इस अधिग्रहित जमीन पर जूझ रहे लोगो के मूल अधिकारों का व्यवस्थित और सिलसिलेवार उल्लंघन किया जा रहा है।”

    कुरैशी ने कहा कि “बीते छह हफ्तों से भारत ने जम्मू कश्मीर को इस गृह के सबसे बड़े जेल में बदल दिया है जहां मूल जरूरतों तक पंहुच नहीं है और संपर्क नहीं बना है।” उन्होंने दावा किया कि “दुकानों में उत्पादों की कमी है, अस्पतालों में दवाइयां नहीं है और भारतीय सेना के बल के सीधे इस्तेमाल के कारण कई लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं। स्थानीय लोग तत्काल स्वास्थ्य सुविधाओं तक पंहुचने में असक्षम है। भारत दवात मानव अधिकारों को रौंद दिया गया है।”

    कुरैशी ने बताया कि “इस क्षेत्र की स्थिति सीधे अंतररष्ट्रीय चिंता की बात है। यह नहीं है और न ही कभी भारत का आंतरिक मामला हो सकता है।” बौखलाये पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर भारत की आलोचना करने के लिए विश्व का समर्थन माँगा है।

    उन्होंने कहा कि “मैं अकेला नहीं हूँ, जो भारत की बर्बरता की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा है और वह मानवीय गरिमा की बेइज्जती कर रहा है।” जब कुरैशी यूएनएचआरसी में भाषण दे रहे थे तब वर्ल्ड सिन्धी कांग्रेस यूएन परिसर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।

    पाकिस्तान कश्मीर के मामले को यूएन में वापस लाने के लिए काफी कोशिश कर रहा है। हालाँकि यह थोड़ा मुश्किल है क्योंकि उनके समक्ष पर्याप्त अंतररष्ट्रीय समर्थन नहीं है। आतंकवाद के प्रायोजक होने के कारण पाकिस्तान पर मुल्को को विश्वास नहीं है। जानकारों ने कहा कि रूस, यूएई, अमेरिका, श्रीलंका, इजराइल और अन्यो ने भारत को इस मामले पर समर्थन किया है।

    अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर व अन्य मामलो को हल करने के लिए सीधे बातचीत को समार्थन करने की बात को दोहराया है। भारतीय प्रतिनिधि समूह ने हाल ही में मानव अधिकारों के लिए यूएन क प्रमुख मिशेल बचेलेट से मुलाकात की थी और उन्हें जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति के बाबत सूचित किया था।

    सोमवार को कुरैशी ने ट्वीट किया कि “कश्मीर में भारत के अत्याचार की दास्तां हम जरुर यूएनएचआरसी के सत्र में सुनायेंगे। जैसा कि उच्चायुक्त मिशेल बचेलेट ने कहा कि किसी भी निर्णय की प्रक्रिया में कश्मीरी जनता को शामिल और उनके विचार जरुर शामिल होने चाहिए।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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