जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनावों को कराए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से जेडीयू इस फैसले के साथ है पर इसका ये मतलब नहीं कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ कराया जाए। बिहार सरकार को अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बार-बार चुनाव कराने की वजह से विकास कार्यों में बाधा आती है और सरकार का खर्चा भी बढ़ता है। लेकिन हर सरकार को अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे करने का मौका मिलना चाहिए। बिहार की राजधानी पटना में आयोजित प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये बातें कही।
नीतीश कुमार ने कहा कि वह पूरे देश में एक साथ चुनाव करने की बात का समर्थन करते हैं पर अभी वर्तमान सत्तासीन सरकारों को उनका कार्यकाल पूरा करने दिया जाए। उन्होंने बिहार का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों के वक्त तक बिहार सरकार के कार्यकाल के साढ़े तीन साल ही पूरे हुए होंगे। ऐसे में कार्यकाल को पूरा किए बिना सरकार को चुनाव में उतरना सही नहीं है। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक सब एक साथ होने चाहिए। आगे नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग को निकट भविष्य में ऐसी किसी सम्भावना को तलाशना चाहिए और उसकी रूपरेखा अभी से तैयार करनी शुरू कर देनी चाहिए।
वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना
अमेरिका दौरे के दौरान कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने भारत में चल रहे वंशवाद का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि भारत में हर क्षेत्र में वंशवाद का बोलबाला है और यहाँ ऐसे ही चलता है। उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लोग खुद जैसा सोचते और समझते हैं दूसरों के बारे में भी उनकी वही अवधारणा बन जाती है। उन्होंने कहा कि जेडीयू शुरुआत से ही वंशवाद के खिलाफ है। भारतीय राजनीति में वंशवाद की शुरुआत कांग्रेस ने की थी और कांग्रेस से ही यह चलन देश के अन्य दलों तक पहुँचा। उन्होंने कहा कि वंशवाद की वजह से ही विपक्ष कमजोर होता जा रहा है और अगर इसपर रोक लगे तो अन्य दल भी बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर रखी राय
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेट्रोल-डीजल के रोज बढ़ रहे दामों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि हर राज्यों में लगने वाले राज्यवार कर और केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। उन्होंने कहा कि जनता से वसूला जाने वाला कर देश के विकास के कार्यों में ही इस्तेमाल होता है। पेट्रोलियम पदार्थों का मूल्य तभी नियंत्रण में लिया जा सकता है जब उन्हें जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इस मसले पर राज्य सरकारों और केंद्र की आपसी बातचीत के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।