Sun. Nov 17th, 2024
    शरद यादव और नीतीश कुमार

    जेडीयू में जारी घमासान अब अपने चरम पर पहुँच गया है। 19 अगस्त को पटना में प्रस्तावित जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विरोधियों को किनारे करने में जुटे हुए हैं। गुजरात राज्यसभा चुनावों के बाद जेडीयू ने पार्टी महासचिव अरुण श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया था। उनपर गुजरात में पार्टी के एकमात्र विधायक छोटुभाई वासवा तक पार्टी का आदेश ना पहुँचाने का आरोप लगा था। वहीं आज सुबह विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने की वजह से वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अली अनवर को बर्खास्त कर दिया गया था। अगले नाम को लेकर लगाए जा रहे कयास सच साबित हुए। इस कड़ी में अगला नाम जेडीयू के संस्थापक अध्यक्ष और वरिष्ठ पार्टी नेता शरद यादव का है। शरद यादव से पार्टी ने राज्यसभा में पार्टी नेता का पद छीन लिया है। अब नीतीश कुमार के विश्वसनीय आरसीपी सिंह यह जिम्मेदारी संभालेंगे।

    आज दोपहर जेडीयू के प्रतिनिधिमण्डल ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की। उन्होंने पत्र के माध्यम से श्री नायडू को पार्टी के निर्णय से अवगत कराया और कहा कि अब राज्यसभा में पार्टी नेता का कार्यभार शरद यादव की जगह आरसीपी सिंह संभालेंगे। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जेडीयू के इस पत्र को स्वीकृति दे दी है। जेडीयू के प्रतिनिधिमण्डल में पार्टी सांसद आरसीपी सिंह, हरिवंश, कौशलेन्द्र कुमार, अनिल साहनी और पार्टी महासचिव संजय झा शामिल थे। इससे पहले जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर जबरदस्त हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि सोनिया गाँधी जेडीयू में फूट डालना चाहती है। गौरतलब है कि शुक्रवार को सोनिया गाँधी ने विपक्ष के 16 दलों की बैठक में जेडीयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर को भी आमंत्रित किया था और इसी वजह से आज अली अनवर को बर्खास्त कर दिया गया। नीतीश कुमार 19 अगस्त को पटना में होने वाली पार्टी कार्यकारिणी की बैठक से पहले विरोधियों को कुचल देना चाहते हैं। इस बैठक में जेडीयू एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर सकती है।

    नीतीश कुमार के महागठबंधन से दामन छुड़ाकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले के बाद से ही शरद यादव ने बागी सुर अपना लिए थे। उनके साथ जेडीयू के कई वरिष्ठ नेता और बिहार में पार्टी के कई मौजूदा विधायक भी हो लिए थे। बिहार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के बाद से ही नीतीश कुमार ने शरद यादव गुट के खिलाफ सख्त कदम उठने शुरू किये हैं। शरद यादव की हालत देखकर सभी को जॉर्ज फर्नांडीस की याद आ रही है जिन्हें इसी तरह शरद यादव ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर पार्टी से किनारे किया था। अब इतिहास खुद को दोहरा रहा है और शरद यादव इतिहास बनने की कगार पर खड़े हैं। दोनों धड़ों का यह आपसी रण शीघ्र ही चुनाव आयोग पहुँच सकता है। जिस गुट के पास अधिक दलबल होगा उसको ही तीर चुनाव चिन्ह मिलेगा। तब तक चुनाव आयोग उनके चुनाव चिन्ह को जब्त कर सकता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।