इन दिनों बिहार के सत्ताधारी दल जेडीयू में घमासान मचा हुआ है। नीतीश कुमार से पार्टी के कुछ नेताओं में पहले से ही नाराजगी थी जो महागठबंधन टूटने के बाद से सतह पर आ गई। नीतीश कुमार ने पुनः भाजपा का हाथ थामते हुए महागठबंधन से किनारा कर जेडीयू-भाजपा गठबंधन की सरकार बना ली। उनके इस फैसले के खिलाफ उनकी अपनी ही पार्टी में बगावत के सुर उठने लगे थे। नीतीश कुमार ने किसी तरह बिहार विधानसभा में तो अपना बहुमत साबित कर दिया पर पार्टी में बागियों की संख्या बढ़ने लगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और संस्थापक अध्यक्ष शरद यादव ने नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने के फैसले को गलत करार दिया तो उनके समर्थन में कई जेडीयू नेता खड़े हो गए। इनमे राज्यसभा सांसद अली अनवर, बिरेन्द्र कुमार और बिहार के कई विधायक शामिल थे। नीतीश कुमार ने शरद यादव को मनाने की बहुत कोशिश की और भाजपा ने उन्हें केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में बड़ी भूमिका देने की भी पेशकश की पर शरद यादव अपने इरादों से टस से मस ना हुए।
अभी गुजरात में हुए राज्यसभा चुनावों के बाद जेडीयू ने अपने पार्टी महासचिव अरुण श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया था। उनपर आरोप था कि उन्होंने पार्टी का सन्देश गुजरात में पार्टी के एक मात्र विधायक छोटुभाई वासवा तक नहीं पहुँचाया। छोटुभाई वासवा ने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट दिया था और उनका मत ही अहमद पटेल की जीत का आधार बना। इसी क्रम में आज जेडीयू नेता केसी त्यागी ने राज्यसभा सांसद अली अनवर को पार्टी के संसदीय दल से बर्खास्त कर दिया। उनपर आरोप है कि उन्होंने पार्टी के नियमों को ना मानते हुए विपक्षी दल के नेताओं के साथ बैठक की। अली अनवर ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुआ कहा है कि उन्हें इसका कोई अफ़सोस नहीं है। जनता उनके साथ है और वह सच जानती है।
आगामी 19 अगस्त को पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है। शरद यादव फिलहाल अपने तीन दिवसीय यात्रा पर बिहार में हैं और वह यहां 7 जिलों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं। आरजेडी के ‘युवराज’ तेजस्वी यादव भी जनादेश अपमान यात्रा निकाल कर बिहार भ्रमण कर रहे हैं। बिहार में नीतीश कुमार और उनके भाजपा के साथ जाने के फैसले के खिलाफ पृष्ठभूमि तैयार करने में ये दोनों नेता जी-जान से जुटे हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शरद यादव का पक्ष लेते हुए कहा था कि उनका शरद यादव की जेडीयू के साथ गठबंधन बरकरार है। उनके बयान के बाद से ही शरद यादव गुट के आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के कयास लगाए जा रहे हैं।
शरद यादव ने अपनी बिहार यात्रा के बाद 17 अगस्त को समान विचार वाले नेताओं की बैठक बुलाई है। इसमें देश के सभी शीर्ष विपक्षी दलों के अलावा अल्पसंख्यक और दलित नेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यह केंद्र में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता की शुरुआत साबित होगी और शरद यादव इसके केंद्रबिंदु बनेंगे। नीतीश कुमार कार्यकारिणी की बैठक से पहले शरद यादव गुट को और कमजोर करना चाहते हैं और एक-एक कर उनके सहयोगियों को किनारे पर कर रहे हैं। मुमकिन है बैठक के वक़्त तक शरद यादव पर भी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई हो चुकी हो और वह बतौर राज्यसभा नेता बैठक में शरीक ना हो।