3 दिनों के सियासी कोहराम के बाद बिहार में पूर्णतः स्थिर सरकार का गठन हो चुका है। जेडीयू-भाजपा के गठबंधन और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी इस सरकार ने कल विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया था। भारी शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच नीतीश कुमार की सरकार के समर्थन में 131 मत पड़े थे वहीं विरोध में 108 मत पड़े। आरजेडी ने नीतीश पर आरोप लगाये थे और ‘विश्वासघाती’ कहा था। लालू यादव ने तो नीतीश कुमार को भस्मासुर की संज्ञा दी थी। इन सभी घटनाक्रमों के बाद अब यह भूचाल थमता नजर आ रहा है। आज शाम को नीतीश कुमार के मन्त्रिमण्डल का विस्तार होगा। कुल 35 विधायकों के मन्त्रिमण्डल में शामिल होने की सम्भावना है। इसमें जेडीयू के 19 और भाजपा(+) के 16 विधायक होंगे। मन्त्रिमण्डल के विस्तार का एलान करने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना स्थित आवास पर बैठक हुई। भाजपा की तरफ से बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और वरिष्ठ नेता नन्द किशोर यादव शामिल हुए वहीं जेडीयू की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेडीयू प्रदेशाध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह और पार्टी सांसद आरसीपी सिंह ने भाग लिया। मन्त्रिमण्डल विस्तार का कार्यक्रम शाम को 5 बजे होगा।
पिछले दो दिनों से अस्वस्थ चल रहे बिहार के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को भी आज अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी। ऐसे में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह आज ही हो सकता है। मन्त्रिमण्डल में एलजेपी और आरएलएसपी के 1-1 विधायकों को जगह मिलने की उम्मीद है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भी मन्त्रिमण्डल में जगह मिल सकती है। गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने 26 जुलाई की शाम को जेडीयू विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और अगले ही दिन भाजपा के समर्थन से दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली थी। पार्टी में उठ रहे बगावत के सुरों के बीच उन्होंने 28 जुलाई को विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया था। उनके इस कदम से बिहार का बहुचर्चित महागठबंधन टूट गया था।