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    महागठबंधन

    बिहार के बहुचर्चित महागठबंधन का भविष्य अधर में लटकता दिखाई दे रहा है। मोदी लहर के खिलाफ एकजुट हुए दो पुराने साथी और तत्कालीन धुर-विरोधी नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी ने कांग्रेस के साथ मिलकर इस गठबंधन की नींव रखी थी। भारतीय राजनीतिक इतिहास में अब तक के सबसे अनोखे गठबंधन होने के कारण ही इसे महागठबंधन नाम दिया गया। इसके गठन का मुख्य उद्देश्य सभी गैर भाजपाई दलों को एकसाथ लाकर 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी के खिलाफ देश की जनता को एक मजबूत विकल्प देना था। कभी केंद्र की सत्ता पाने के ख्वाब संजोने वाला यह महागठबंधन आज अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोहद कर रहा है।

    सीबीआई छापों ने लिखी अलगाव की दास्ताँ

    महागठबंधन के दो प्रमुख सदस्य दलों जेडीयू और आरजेडी के बीच खाई बनाने का काम किया सीबीआई के रेलवे घोटालों की रिपोर्ट ने। सीबीआई के 27 सदस्यीय जाँच दल ने पूरे यादव परिवार की इसमें सक्रिय लिप्तता पाई। इसमें उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल था। तभी से विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ गया और सहयोगी दल जेडीयू पर दबाव बनाने लगा। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने इसे भाजपा की साजिश बताया और कहा कि मोदी सरकार महागठबंधन के बढ़ते दबदबे से डर गयी है।

    जेडीयू का पक्ष

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि इतने संगीन जुर्म लगने पर तेजस्वी यादव की बर्खास्तगी में भी किसी तरह की कोताही नहीं बरती जायेगी। बेहतर होगा कि वह खुद अपना इस्तीफ़ा सौंप दें। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने अपने बयान में कहा है कि ऐसे आरोप लगने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एकबार इस्तीफ़ा दें चुके हैं। ऐसे में किसी तरह की ढ़ील बरतने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि जेडीयू अपने पिछले सहयोगी भाजपा की साथ ज्यादा सहज थी। मतलब इशारा साफ़ है कि जेडीयू अपने रुख में कोई नरमी नहीं बरतने वाली और इस्तीफ़ा ना देने की सूरत में वह तेजस्वी को बर्खास्त करने से भी नहीं हिचकिचाएगी। उनका ये कदम निश्चित रूप से दोनों दलों में मतभेद पैदा करेगा और अलगाव का कारण बन सकता है।

    तेजस्वी ने कहा, बर्खास्तगी तक पदत्याग नहीं

    उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने हालिया बयान में स्पष्ट किया है कि उनके इस्तीफे की खबरें महज अफवाह भर थी। वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाने वाले। वो पद तभी त्यागेंगे जब मुख्यमंत्री उन्हें बर्खास्त कर दें। आरजेडी की चाल यह है कि अगर तेजस्वी को बर्खास्त किया जाता है तो उसके सारे मंत्री सरकार से इस्तीफा दे देंगे। इसके बावजूद वो जेडीयू सरकार को बाहर से समर्थन देना जारी रखेंगे और उपमुख्यमंत्री पद के लिए लालू यादव की बेटी रोहिणी का नाम आगे करेंगे। रोहिणी की साफ़-सुथरी और गैर राजनीतिक छवि है और वो पेशे से एक डॉक्टर हैं। फिलहाल वो महागठबंधन को बचाने के लिए आरजेडी की आखिरी उम्मीद नजर आ रही हैं और उनके चुनाव पर जेडीयू को भी कोई ऐतराज़ नहीं होगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।