विषय-सूचि
हर तत्व कंपाउंड बनाने की कोशिश करता है। वह ऐसा स्थायी होने के लिए करता है। परंतु वे ऐसा निरुद्देश्यता से नहीं करते। वे कुछ तय तरीकों का प्रयोग करते हैं।
जो कानून इन रासायनिक मिलापों को नियंत्रित करते हैं उन्हें रासायनिक मेल के कानून कहते हैं। ऐसे दो कानून हैं-
1) भार संरक्षण कानून (Law of conservation of mass)
2) निश्चित अनुपात का नियम (Law of definite proportions)
हम यहाँ निश्चित समानुपाती कानून के विषय मे जानेंगे।
निश्चित अनुपात का नियम क्या है? (Law of definite proportions in hindi)
कथन- यह कानून कहता है कि किसी भी रासायनिक कंपाउंड की रचना सदा निश्चित भार के समानुपाती ही होगी। वह वैसी ही रहेगी, जैसी निर्धारित है। वह कभी नहीं बदलेगी, चाहे उस कंपाउंड को कहीं से भी प्राप्त किया जाए।
जैसे शुद्ध जल के अणु में 2 अणु हाइड्रोजन के तथा 1 अणु ऑक्सिजन का हमेशा ही रहेगा। अब हम जल समुद्र से लें, नल से लें या प्रयोगशाला में किसी प्रयोग में बनाएँ, जल की रचना कभी नहीं बदलेगी।
‘शुद्ध’ शब्द का उल्लेख इस कारण किया गया क्योंकि मान लीजिए यदि हम दूषित जल को देखें, तो उसमे हाइड्रोजन तथा ऑक्सिजन के अतिरिक्त कई और तत्व जैसे कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम भी मिलेंगे। यद्यपि जल की वही निश्चित संरचना रहेगी।
इसी तरह यदि 17 ग्राम अमोनिया लिया जाए, तो उसमें 14 ग्राम नाइट्रोजन तथा 3 ग्राम हाइड्रोजन होगा। और यदि 34 अमोनिया लें, तो 28 ग्राम नाइट्रोजन तथा 6 ग्राम हाइड्रोजन होगा। यानी अमोनिया नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन सदा 17:14:3 के अनुपात में ही रहेगा।
इस कारण इसे निश्चित समानुपाती कानून (लॉ ऑफ डेफिनिट प्रोपोर्शन) कहते हैं।
निश्चित अनुपात का नियम का महत्व (Importance of law of definite proportion in hindi)
यह कानून ‘ प्रौस्ट ( Proust )’ द्वारा दिया गया था। आज हमें यह कानून अत्यंत ही साधारण तथा स्पष्ट लग रहा है। परंतु 300 वर्ष पूर्व वैज्ञानिक तत्वों तथा अणुओं को बहुत भिन्न तरह से देखते थे। उनके लिए यह कानून एक बड़ी बात थी।
इस नियम की मदद से पदार्थों के भार और उनमें मौजूद पदार्थों के अनुपात का पता चलता है।
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glucose ke forumula me law of definite proportion kaise lagana hai?