प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने करिश्माई व्यक्तित्व और अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में इस बाबत एक नई सूचना सुनने को मिली। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देश की राजनीति का केंद्र कहे जाने उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों को नाश्ते पर आमंत्रित किया है। इस दौरान वह उनसे अबतक के कार्यकाल का हिसाब लेंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में अहम् योगदान रहा है। भाजपा और सहयोगी दलों ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया था। इस जनाधार ने ही भाजपा को केंद्र में एक स्थिर सरकार बनाने का मजबूत आधार दिया और इसी ने आगे चलकर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी के द्वार खोले।
राज्य में केंद्र सरकार की योजनाओं की स्थिति जानेंगे
बैठक प्रधानमंत्री के आवास 7 लोक कल्याण रोड पर होगी। उन्होंने सांसदों को प्रातः 9 बजे यहाँ बुलाया है। प्रधानमंत्री सांसदों से राज्य में चल रही केंद्र सरकार की योजनाओं की स्थिति से अवगत होंगे। वह जानेंगे कि केंद्र की सभी योजनाएं राज्य में ठीक तरीके से चल रही हैं या नहीं और किस तरह लोग उनसे लाभान्वित हो रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रपति पद के लिए उत्तर प्रदेश निवासी दलित नेता रामनाथ कोविंद का नाम आगे करके निश्चित तौर पर पार्टी ने प्रदेश के दलित वर्ग में अपना जनाधार बढ़ाया है और ऐसे में वो इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। सरकार के हालिया निर्णयों से स्पष्ट है कि वो अपना हर कदम 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर उठा रही है और भाजपा का यह मिशन 2019 उत्तर प्रदेश में 2014 का करिश्माई प्रदर्शन दोहराये बिना मुमकिन नहीं है।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना इस दिशा में पहला कदम था। ऐसा करके भाजपा ने राज्य के सवर्णों का भरोसा जीत लिया है। सत्ताधारी योगी सरकार की नीतियों और उनके निर्णयों ने इस वर्ग में भाजपा की पैठ और मजबूत कर दी है। बीते कई दशकों में प्रदेश की राजनीति में यह पहला मौका है जब किसी पार्टी को सवर्णों का इतना समर्थन मिल रहा है। यह प्रदेश में भाजपा के भविष्य के लिए अच्छी खबर है। रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी ने इसमें “सोने पर सुहागा” का काम किया है। प्रदेश से पहला राष्ट्रपति और वो भी दलित, भाजपा का यह कदम “एक तीर से दो निशाने” जैसा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हालिया बजट में प्रदेश के धार्मिक स्थलों के विकास और गौ-पालन जैसे हिंदूवादी मुद्दों पर ध्यान देकर पार्टी की छवि को हिंदुत्व से जोड़े रखने का काम किया है। अब वो वक़्त भी गुज़र चुका है जब अल्पसंख्यक समुदाय भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं करता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लोकसभा में राज्य की धार्मिक राजधानी वाराणसी का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसका पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति पर प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में भाजपा की पूरी कोशिश होगी कि वो 2019 के चुनावों में प्रदेश में रसूख बरक़रार रखे और ताकि उत्तर प्रदेश एकबार फिर उसके सत्ता में आने का आधार बने।