नागरिकता विधेयक को लेकर भाजपा में मतभेद बढ़ता ही जा रहा है, पार्टी के कुछ सदस्य इस विधेयक के खिलाफ पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इन्ही सब के बीच, पार्टी के राष्ट्रिय महासचिव राम माधव गुरुवार को असम भाग गए हैं और वहां उन्होंने विरोधी विधायकों से मुलाकात की और विधेयक को लेकर उड़ रही अफवाहों को खारिज किया।
पिछले चार दिनों में, चार भाजपा विधायकों ने विधेयक के खिलाफ आवाज़ उठाई है-अतुल बोरा, देबानंद हजारिका, रितुपर्णा बरुआ और पद्मा हजारिका। इससे पहले, असम के विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने भी विधेयक के खिलाफ अपना विरोध जताया था।
माधव ने कहा-“विधेयक को लेकर सारी उलझन, एक गलत सूचना अभियान के तहत बनी है और ऐसा करने से लोगों को जो भी चिंताएं हो रही है, हम उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। ये अभियान रुकना चाहिए।”
माधव के हिसाब से, अफवाह ये फैली हुई है कि ‘किसी को भी नागरिकता मिल जाएगी’।
उनके मुताबिक, “संसोधित विधेयक के अनुसार ये पूरी एक प्रक्रिया है और ये उन लोगों के लिए है जो भारत में 31 दिसंबर 2014 तक रहे हैं। इसके अलावा, नागरिकता उन्हें ही जाएगी जो कम से कम भारत में सात साल रहे हो। जिला प्रशासन की जांच के बाद ही संबंधित राज्य उस व्यक्ति का नागरिकता संबंधी आवेदन आगे बढ़ाएंगे।”
उन्होंने अपने सहयोगी दल असम गण परिषद से भी मुलाकात कर उन्हें भाजपा से गठबंधन तोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया।