महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी (NCP) नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) को ED (Enforcement Directorate) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering case) में गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के अनुसार, आज (23 फरवरी) की सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने मंत्री श्री मलिक के आवास पर छापा मारा और फिर कुछ कागजात के साथ उन्हें ED दफ्तर ले जाया गया जहाँ उनकी पूछताछ हुई। अधिकारियों का कहना है कि मामला अंडर वर्ल्ड से जुड़ा है और पूछताछ में मलिक कई सवालों के जवाब से ED संतुष्ट नहीं है। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।
श्री मलिक के पहले महाराष्ट्र सरकार के एक और मंत्री अनिल देशमुख की भी गिरफ्तारी इन्ही एजेंसियों द्वारा की जा चुकी है।
नवाब मलिक (Nawab Malik) ने कहा इसे “राजनीति से प्रेरित “
गिरफ्तारी के बाद जब उन्हें मेडिकल जाँच के लिए ले जाया जा रहा था, इस दौरान मीडिया से बात करते हुए मलिक ने कहा – “ये एक राजनीतिक साजिश है। हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी।”
नवाब मलिक के कार्यालय द्वारा किये गए एक ट्विट में हैशटैग #We_stand_with_Nawab_malik के साथ कहा गया कि – “ना डरेंगे न झुकेंगे!! 2024 के लिए तैयार रहना….”
ना डरेंगे ना झुकेंगे!
Be ready for 2024!#WeStandWithNawabMalik
— Office of Nawab Malik (@OfficeofNM) February 23, 2022
स्पेशल कोर्ट में नवाब मलिक (Nawab Malik) किया गया पेश
लगभग 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद नवाब मलिक को ED अधिकारियों ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से ED को 3 मार्च तक श्री मलिक को न्यायिक हिरासत में रखने की इजाज़त मिल गयी।
क्या है पूरा मामला?
ED ने 15 फरवरी को 10 अलग अलग ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर, भाई इकबाल कासकर, और सलीम कुरैशी (गैंगस्टर छोटा शकील का साला) से जुड़े ठिकाने भी शामिल थे। सूत्रों की माने तो इन्ही तफ्तीश के दौरान नवाब मलिक का नाम सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अंडरवर्ल्ड के बड़े नाम दाऊद इब्राहिम से जुड़े कई जमीन की खरीद बिक्री में नवाब मलिक का नाम सामने आया।
फिर उठे ED जैसी संस्थाओं पर सवाल
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय जाँच एजेंसियों जैसे ED, CBI, NCB etc की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। भारतीय राजनीति में इन एजेंसियों का इस्तेमाल केंद्र में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर होता आया है। ऐसे में अक्सर ही यह सवाल उठना लाज़िमी है कि आख़िर ये केंद्रीय एजेंसियों के चंगुल में विपक्ष के नेता ही क्यों फसते हैं??
अब नवाब मलिक वाले प्रकरण को ही उदाहरण के तौर पर लिया जाए तो यही बात सामने आती है। महाराष्ट्र में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी जिससे नवाब मलिक आते हैं, इस समय बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना और केंद्र में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस के साथ सत्ता में है।
बीते कई महीनों से नवाब मलिक बॉलीवुड हीरो शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान से जुड़े ड्रग मामले को लेकर केंद्रीय एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और बीजेपी (BJP) की भूमिका ओर सवाल उठा रहे थे।
ऐसे में एक पुराने प्रकरण की जाँच फिर से शुरू कर के ED द्वारा नवाब मलिक को गिरफ्तार करने को लेकर सवाल उठना स्वभाविक है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उठाये सवाल
नवाब मलिक पर लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार ने कहा कि दाऊद इब्राहिम के साथ नाम जोड़ देना किसी की भी मानहानि के लिए सबसे आसान तरीका है। श्री पवार ने कहा कि “25 साल पहले जब वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब उनका नाम भी अंडरवर्ल्ड के साथ जोड़कर बदनाम करने की कोशिश की गई थी।”
महाराष्ट्र के सरकार में एनसीपी के साझेदार शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा – “मेरे विचार में महाराष्ट्र की सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण है…वे (केंद्रीय जाँच एजेंसीयां) अपनी जाँच करने के लिए स्वतंत्र हैं…. पुराने गड़े हुए मुद्दे खोदकर निकाले जा रहे हैं लेकिन मत भूलिए कि 2024 में आपकी (BJP के लिए) भी जाँच की जाएगी!”