देश के चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने मौजूदा घटनाक्रमों और राजनीतिक हालातों को लेकर बयान दिया था। अपने बयान में उन्होंने कहा था कि देश में राजनीतिक पार्टियों के लिए किसी भी हालत में चुनाव जीतना अब एक चलन बन गया है। इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने अपनी राय दी। चुनाव आयुक्त के लगाए आरोपों और उनके तर्कों को ख़ारिज करते हुए नकवी ने कहा कि भारत में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होते हैं। देश के सभी हिस्सों में चुनाव साफ-सुथरे ढंग से और निष्पक्ष होते हैं। देश में राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं और सभी जीतने के लिए ही लड़ते हैं। उन्होंने चुनाव आयुक्त के उस बयान को सिरे से नकार दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में चुनावों में अब बस जीत ही मायने रखती है फिर चाहे वह जिस तरह मिली हो। उनके इस बयान को गुजरात में हुए हालिया राज्यसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को हराने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। कांग्रेस ने भी अपने 44 विधायकों को गुजरात से शिफ्ट कर बेंगलुरु के एक रेसॉर्ट में ठहराया था।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि चुनाव लड़ रही राजनीतिक पार्टियों की नीति साफ होनी चाहिए। उनकी नियत सही होनी चाहिए, सुशासन की बात होनी चाहिए। विकास देश के हर आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाने की बात होनी चाहिए। भाजपा चुनाव विकास के दम पर लड़ती है और हम अंत्योदय की बात करते हैं। हमारा लक्ष्य आखिरी आदमी के विकास का होता है। मुख्तार अब्बास नकवी ने साथ ही राज्यसभा और लोकसभा चुनावों को एकसाथ कराए जाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि एकसाथ चुनाव होने की स्थिति आदर्श स्थिति होगी। समय की भी बचत होगी और खर्चा भी कम होगा। बार-बार चुनावों के होने से देश के विकास की रफ़्तार प्रभावित होती है। अगर देशभर में एकसाथ चुनाव होंगे तो हर साल और महीने-महीने होने वाले चुनावों से बचा जा सकेगा। इससे विकास कार्यों की रफ़्तार भी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश की चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष है और इसपर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया अन्य देशों से बेहतर है और देश के लोगों में इसके प्रति विश्वास है। इसे बेहतर बनाने के लिए चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियां अपने सुझाव देते रहते हैं।
यह था चुनाव आयुक्त का बयान
देश के चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने कहा था कि आज देश के राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना सबसे महत्वपूर्ण हो गया है फिर चाहे वह किसी भी तरीके से जीता गया हो। आज की चुनावी प्रक्रिया एक तरह से स्क्रिप्टेड कहानी सी हो गई है जिसमें कई नाटकीय मोड़ आते हैं। हर चुनावों के दौरान इसे स्पष्ट देखा जा सकता है। उन्होंने राजनीतिक दलों पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि विधायकों को धमकाना या उनकी खरीद-फरोख्त करना एक कुशल चुनावों प्रबंधन का हिस्सा है। किसी को अपनी ओर मिलाने के लिए सरकारी तंत्र का उपयोग और पैसे का लालच देना, ये सब चुनाव जीतने की रणनीति का हिस्सा बन गए हैं। आज की राजनीति में यह साधारण सी बात हो गई है और इसमें सुधार के लिए राजनीतिक दलों, राजनेताओं, मीडिया और समाज के अन्य लोगों को कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र तभी अच्छा लगता है जब वह निष्पक्ष और सही तरीके से काम करे। लोकतंत्र की बेहतरी के लिए सभी को आवश्यक कदम उठाने होंगे। उनके इस बयान को गुजरात में हुए हालिया राज्यसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को हराने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। कांग्रेस ने भी अपने 44 विधायकों को गुजरात से शिफ्ट कर बेंगलुरु के एक रेसॉर्ट में ठहराया था।