कोई ऋण चुकाने गया हैं, तो कोई कर भुलाने गया हैं
यह माटी मेरा गुरुर हैं, तो कोई यह बात बताने गया हैं।
शायद यही बात तो दिल में लेकर देश का हर जवान फौज में जाता हैं, ना होता हैं मन में कोई स्वार्थ, बस यही हैं एक फौजी का यथार्थ। देश के प्रति पूर्णतः समर्पण की भावना, अपने धर्म का वहन करने हेतु सभी सांसारिक मोह त्यागना, ऐसी देश भक्ति को आखिर क्या सम्मान दिया जा सकता हैं यह तो समझ से परे है परन्तु फिर भी जितना हमारे अधिकारों में है हम उतना तो कर ही सकते हैं।
भारतीय आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने 4 नवंबर, शनिवार दोपहर, फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को भारत रत्न देने की मांग की। एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आर्मी चीफ ने कहा, ”अब वक्त आ गया है कि फील्ड मार्शल करियप्पा को भारत रत्न दिया जाए। अगर यह दूसरे लोग को मिल सकता है तो मेरी नजर में फील्ड मार्शल भी इसके हकदार हैं। उन्हें ये सम्मान न देने की कोई वजह नहीं है।”
आपको बता दें 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारत के पहले कमांडर इन चीफ बने थे। जनरल करियप्पा साहब का जन्म 1899 में हुआ। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के अलावा 1947 में भारत-पाक युद्ध में भी भारतीय सेना का नेतृत्व किया। उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल उपाधि दी गई थी। इसके 6 साल बाद ही 1993 में उनका निधन हो गया। भारत में अब तक तीन लोगों को ही मार्शल की उपाधि से नवाज़ा गया है, एयरफोर्स में “अजरन सिंह” को, और सबसे पहले “सैम मानेकशॉ” को यह रैंक मिल चुकी है।
जिस प्रकार देश में सेना के विरुद्ध माहौल चल रहा है उससे यह तो जाहिर है, कि अब सेना को अपने हक के लिए खुद ही आवाज उठानी होगी, वरना आज मुद्दतें हो जाती है एक शहीद के शरीर को, पर राजनीत्तिक गलियारों से एक कफन तक नहीं आता है।