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    दूरसंचार telecommunications in hindi

    विषय-सूचि

    दूरसंचार का मतलब (telecommunications meaning in hindi)

    संचार के उद्देश्य के लिए जब एक दूरी तक सिग्नल का ट्रांसमिशन किया जाता है तो इसे दूरसंचार कहते हैं।

    दूरसंचार क्या है? (telecommunication definition in hindi)

    संचार के लिए दो चीजों की जरुरत पड़ती है , ट्रांसमीटर और रिसीवर। इसको आसान भाषा में समझे तो दूरसंचार एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे हम बहुत बड़ी डोरी तक जानकारी का अदान-प्रदान कर सकते हैं।

    अब इसको एक उदहारण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं। आप इस लेख को पढ़ने के लिए भी दूरसंचार का ही उपयोग कर रहे हैं। अगर आप इस लेख कोअपने मोबाइल या कंप्यूटर में पढ़ रहे हैं, तो आप इंटरनेट से जरूर जुड़े होंगे।

    और यही इंटरनेट ही यहाँ दूरसंचार का माध्यम है। इसी की वजह से आप अपने दोस्तों से घर बैठे बातें कर पते हैं। आपने अक्सर एक शब्द टेलीकम्यूनिकेशन सुना होगा।

    क्या आप जानते हैं ये क्या है? दरअसल दूरसंचार को अंग्रेजी में टेलीकम्यूनिकेशन कहते हैं। इस शब्द को शार्ट फॉर्म में टेलीकॉम भी कहते है।

    दूरसंचार के प्रकार (types of telecommunications in hindi)

    आप सुबह उठने के साथ ही दूरसंचार के हर प्रकार का इस्तेमाल कर लेते हैं। सुनने में अटपटा लग रहा है ? नहीं! दरअसल ये सच है। हम पूरे दिन टेक्नोलॉजी से घिरे रहते हैं और हमे इसका पता ही नहीं चलता। आप इस समय फ़ोन या फिर अपने कंप्यूटर पर ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं और आप अभी भी दूरसंचार सेवा का आनंद ले रहे है। आइये अब हम जानने की कोशिश करते हैं दूरसंचार के प्रकार के बारे में।

    ईमेल (e-mail)– आपने ईमेल का इस्तेमाल तो जरूर किया होगा। ईमेल एक शार्ट फॉर्म है जिसका फुल फॉर्म है इलेक्ट्रॉनिक मेल। ये भी एक दूरसंचार का एक प्रकार है। इसमें भी दो कड़ियाँ जुड़ती है तभी संचार हो पता है। ये दो कड़ियाँ है सेन्डर और रिसीवर। जब तक ये दोनों मौजूद न हो तब तक संचार पूरा नहीं हो सकता।

    आप अगर मेल भेज रहे है तो आप सेन्डर हैं , अगर किसी आयी हुई मेल को पढ़ रहे हैं तो आप रिसीवर हैं। आप के द्वारा भेजी गयी मेल जब रइवर पढ़ लेता है तो आपका संचार पूरा हो जाता है। अगर रिसीवर आपको जवाब भेजे तो उस हालत में वो सेन्डर और आप रिसीवर बन जाते हैं।

    फैक्स (fax)– फैक्स भी एक शार्ट फॉर्म है जीका फुल फॉर्म है फारअवे जेरोक्स। इसके काम करने का तरीका भी सेन्डर और रिसीवर के सिद्धांत पर ही चलता है। जो फैक्स भेजता है उसे सेन्डर और जो रिसीव करता है उसे रिसीवर कहते है। आप ने पहले के समय में देखा होगा।

    इसका उपयोग ईमेल आने से लग भाग ख़त्म हो गया है। दरअसल, फैक्स का एक नो होता है जिस पर आप कोई डॉक्यूमेंट भेज सकते हैं और जिसके पास मशीन है वो उस डॉक्यूमेंट को मीलों दूर भी प्राप्त कर सकता है।

    इंस्टेंट मेसेजिंग (instant messaging)– इंस्टेंट मेस्सिंग का शार्ट फॉर्म है आईएम। ये एक ऑनलाइन मैसेज या चाट सर्विस होती है। इसके उपयोग से आप किसी कोई कोई भी सन्देश चुटकियों में भेज सकते हैं।

    इसमें भी जानकारी का आदान प्रदान दो पार्टियों ,यानि सेन्डर और रिसीवर के बीच होता है। आप किसी का नंबर लिखकर अपने फ़ोन के इनबिल्ट मैसेज बॉक्स में जाकर भेज सकते हैं या किसी एप्लीकेशन की सहायता से भी। व्हाट्सप्प , वी चैट आदि ऐसे ही इंस्टेंट मेस्सिंग एप्लीकेशन हैं।

    रेडियो (radio)– रेडियो का नाम तो लगभग हर किसी ने सुना होगा। रेडियो को  एक इटालियन आविष्कारकर्ता मार्कोनी ने बनाया था। यह भी ट्रांसमीटर और रिसीवर के सिद्धांत पर चलता है। दरअसल रेडियो में बोलने वाली आवाज़ को इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदल दिया जाता है, लेकिन यह सिग्नल काफी कमजोर होता है।

    इसे मजबूत करने के लिए ट्रांसमीटर की सहायता ली जाती है। ट्रान्स्मित्टर अपने मजबूत सिग्नल के साथ को मिला देता है और इन्हे टेक्नोलॉजिकल टर्म में कैरियर वेव्स भी कहते हैं। इनको एक एंटेना की मदद से आपके फोन के या रेडियो में लगे एंटेना तक पहुंचता है जिसके कारन आप रेडियो सुन पाते है। ये भी दूरसंचार का एक प्रमुख माध्यम है।

    टेलीफोन या मोबाइल (telephone and mobile)– शायद मुझे आप को मोबाइल या टेलीफोन से अवगत कराने की आवश्यकता नहीं है। आप अच्छे से जानते होंगे इनका क्या उपयोग है। टेलीफोन को टेली कम्युनिकेशन में उपयोगिता की वजह से ही टेलीफोन कहते है। आप टेलीफोन से किसी से कहीं भी बात कर सकते हैं।

    सबसे पहला टेलीफोन ग्राहम बेल ने बनाया था। पहले टेलीफोन एक तार से जुड़ा होता था मगर बदलते समय और टेक्नोलॉजी के साथ तार हट गयी और ये धीरे धीरे मोबाइल बन गए। मोबाइल का प्रमुख काम तो एक दूसरे से बात करना ही है पर इसके और भी विकसित करके इसमें मैसेज वीडियो कॉल, गेम्स, सोशल नेटवर्क और भी बहुत कुछ जुड़ चूका है। अब मोबाइल से आप लगभग हर काम घर बैठे कर सकते हो। कभी सोचा है इतने सारे काम के पीछे है कौन है ? इसका जवाब है इंटरनेट। इंटरनेट के आने के साथ ही मोबाइल बहुत ताकतवर बन चूका है। इंटरनेट भी टेलीकम्यूनिकेशन काएक माध्यम है।

    टेलीविज़न (television)– टेलीविज़न दो शब्दों से मिल कर बना है टेली और विज़न।  टेलीविज़न का काम भी दूरसंचार का ही है। उदाहरण के लिए सोचिये जब आप कोई समाचार देखते हैं तो एंकर तो न्यूज़ एक बार ही पढता है मगर वो एक साथ कई लाख लोगों तक पहुँच जाती है।

    यही होता है दूरसंचार। टेलीविज़न भी ट्रांसमीटर की सहायता से चलता है। इसका ट्रांसमीटर वहां लगा होता है जहाँ से सब कुछ ब्रॉडकास्ट होता है और आपका टेलीविज़न रिसीवर डिवाइस की तरह काम करता है।

    भारत और दूरसंचार (India and telecommunications in hindi)

    भारत में आज लगभग 80 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन है। यह काफी तेज़ी से बढ़ने वाले सेक्टर्स में से एक है। भारत में अभी हाल में ही 4G नेटवर्क भी शुरू हो गया है और दूरसंचार काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। इतना कुछ पाने के लिए हमे कई वर्षों का इंतजार करना पड़ा।

    अगर भारत के दूरसंचार के इतहास को देखें तो पता लगता है भारत में पहले संचार ही बहुत मुश्किल से हो पाता था। भारत में संचार के लिए सबसे पहले टेलीफोन आया पर इसकी पहुँच सीमित लोगों तक ही थी। उसके बाद रेडियो फिर टेलीविज़न आदि आये जो की 1993 से पहले एक विलासिता ही मानी जाती थी।

    औद्योगीकरण और वैश्वीकरण के बाद भारत में सब कुछ बदल गया। अब लगभग हर किसी की पहुँच दूरसंचार के माध्यमों तक हो चुकी है। दूरसंचार भारत में एक अच्छे और विकसित भविष्य की नींव रख रहा है।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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