खबरों के मुताबिक कांग्रेस यह फैसला नही ले पा रही है कि वह सीपीआई (एम) द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ दोषारोपण में उनका साथ दे या नही।
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के, सर्वोच्च न्यायालय की कार्यशैली पर सवाल उठाने और लोकतंत्र को खतरे में बताने के बाद लेफ्ट ने दीपक मिश्रा को आड़े हाथों लेने की तैयारी कर ली है।
हालांकि राहुल गांधी ने चारों जजों का खुलकर सर्मथन किया है। परंतु उनकी पार्टी अभी तक इस मामले से दूरी बना रखी है।
29 जनवरी को बजट सत्र की शुरुआत के साथ मामले के गरमाने की आशंका और बढ़ गई है। कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि, वह बाकी विपक्षी दलों से बातचीत कर इस मामले मे आगे की कार्रवाई के बारे मे सोचेंगे।
कांग्रेस के प्रवक्ता आर.पी.एन सिंह ने बताया कि, “कम्युनिस्ट पार्टी ने काफी महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए है। राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खडगे सारे दलों से बात कर अपना स्टैंड साफ करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि, “पार्टी सर्वोच्च न्यायालय का राजनीतिकरण नही चाहती। न्याय व्यवस्था लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो, कांग्रेस पार्टी इस मामले में इसलिए नही बोल रही क्योंकि वह यह चाहती है कि न्यायालय इस मामले को खुद सुलझाए। इससे सर्वोच्च न्यायालय का राजनीतिकरण होने से बच जाएगा।