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    पानी छिड़काव वायु प्रदुषण

    देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदुषण एक चिंताजनक विषय बन गया है। ताजा खबर के मुताबिक प्रदुषण के कारण धुंध इतनी बढ़ गयी है कि सड़कों पर 10 मीटर दूर गाड़ियां भी अच्छे से दिख नहीं रही हैं।

    ऐसे में दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि वायु प्रदुषण पर काबू पाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत शहर में हेलीकाप्टर और अन्य ऊँची इमारतों से पानी का छिड़काव किया जाएगा, जैसा हम आम तौर से पार्क आदि में करते हैं।

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    इस योजना के लिए दिल्ली सरकार ने होने वाले खर्चे का भी उपाय निकाल लिया है। दिल्ली के मौसम विभाग मंत्री इमरान हुसैन ने बताया कि इस योजना के लिए पैसा सरकारी कोष से खर्च किया जाएगा।

    पानी छिड़कने से प्रदुषण कैसे कम होगा?

    पानी द्वारा वायु प्रदुषण रोकने की योजना सबसे पहले 2014 में चीन में लागु की गयी थी। इसपर शोध करने वाले विशेषज्ञ ने बताया कि ऊंचाई से पानी छिड़कने से यह प्राकृतिक बारिश की तरह काम करता है। जब पानी ऊंचाई से गिरता है तो यह वायु में मौजूद ऐरोसोल और अन्य हानिकारक कणों को अपने साथ नीचे जमीन पर ले आता है।

    इस प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावित बनाने लिए हम पानी में कुछ रासायनिक तत्व मिला सकते हैं जिनसे प्रदूषित तत्व आसानी से चिपक सकें। हालाँकि पानी में इन केमिकल के मिलाने से अन्य दुष्प्रभावों का खतरा रहता है।

    दिल्ली में इस योजना का काफी लोगों ने यह कहकर विरोध किया है कि इसके लिए काफी मात्रा में पानी की जरुरत होगी और पानी व्यर्थ होगा। लेकिन चीनी विशेषज्ञ का मानना है कि इसके दौरान हम पानी को फिर से इकट्ठा कर फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होगी।

    इस प्रक्रिया से वायु में मौजूद हानिकारक और जहरीले कणों कोई संख्या को कम करके सामान्य किया जा सकेगा। इसके अलावा इस प्रक्रिया को कुछ दिनों के लिए रोजाना करना होगा जिससे योजना से अच्छे परिणाम मिल सकें।

    विशेषज्ञों के मुताबिक यह योजना पूरी तरह से प्राकृतिक, तकनीकी सक्षम और सस्ती है। इसमें इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं।

    चुनौती

    पानी छिड़काव की इस योजना में हालाँकि काफी चुनौतियां भी हैं। मौसम विभाग के पोलाश मुख़र्जी ने बताया, ‘पहली बात, इतना पानी कहा से आएगा? दिल्ली में पानी की कमी है। जमीन से पानी निकालना संभव नहीं है। यदि हम घरेलु पानी इस्तेमाल करते हैं, तो इतनी बड़ी मात्रा में पानी को पुनः इस्तेमाल करना अपने आप में मुश्किल काम है।’

    इस योजना में इस्तेमाल होने वाले हेलीकाप्टर पर मुख़र्जी ने कहा, ‘दूसरी बात, यदि इस योजना में हेलीकाप्टर का इस्तेमाल होगा, जो आज से पहले कहीं नहीं हुआ है, तो हेलीकाप्टर को सही जगह पानी छिड़कने के लिए काफी कम ऊंचाई पर उड़ना होगा। ऐसे में प्रदुषण रोकने की बजाय हेलीकाप्टर ज्यादा प्रदुषण फैला देंगे।’

    इस योजना के फायदों और चुनौतियों पर लोगों ने अपने अपने सुझाव दे दिए हैं। निजी तौर पर हमें यह लगता है कि इतनी योजनाओं के बाद भी यदि वायु प्रदुषण पर नियंत्रण नहीं हो सका, तो एक और योजना अपनाने में क्या हर्ज है?

    यदि सरकार प्रदुषण रोकने के लिए कोशिशें कर रही है, तो हमें भी उसमे समर्थन करना चाहिए।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।