दक्षिण चीन सागर विश्व का सबसे अधिक विवादित सागरी क्षेत्र हैं। चीन समेत ताइवान, फिलिपींस, ब्रूनेई, वियतनाम, मलेशिया भी इस सागरी क्षेत्र को उनके देश का हिस्सा मानते हैं। इस विवादित सागरी क्षेत्र में चीन की नौसेना ने कृत्रिम द्वीप तैयार कर, उन द्वीपों पर अपनी सेना को तैनात किया हैं।
चीनी नौसेना ने अब इन द्वीपों पर एंटी क्रूज जहाज और अत्याधुनिक जमीन से हवा में हमला करने की मारक क्षमता वाले सरफेस टू एयर मिसाईले भी तैनात की हैं। चीन के इस आक्रमक रवय्ये से प्रान्त के अन्य देशों की चिंता बढ़ रही हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, “नाशा द्वीप(स्पार्टी आइलैंड) और अन्य द्वीप चीन हा अविभाज्य अंग हैं, और सेना की इन द्वीपों पर की गयी तैनाती चीन की संप्रभुता बनाये रख ने के लिए जरुरी हैं। सेना की तैनाती किसी देश की विरोध में नहीं की गयी हैं, इसलिए क्षेत्र के अन्य देश चिंतित न हो।”
दक्षिणी चीन सागर अनेक नैसर्गिक संपत्तियों से भरा हुआ हैं और इसीके साथ यह क्षेत्र रणनीतिक तौर से महत्त्वपूर्ण हैं। पूर्वी एशिया के देशों की ओर जाने वाले जहाजों को दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरना पड़ता हैं, इसीलिए अगर दक्षिण चीन सागर पर जिसका नियंत्रण होगा, उसीका जहाजी यातायात पर भी नियंत्रण होगा।
इस विवादित सागरी क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बनाये रखने के लिए चीन की नौसेना ने अप्रैल महीने में अब तक का सबसे बड़ा सागरी युद्ध अभ्यास, दक्षिणी चीन सागर में किया था। इस सागरी युद्ध अभ्यास में चीनी नौसेना के एकमात्र एयरक्राफ्ट कॅरीयर ने भी हिस्सा लिया था, जिस का निरिक्षण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया था।
विश्व के कुल सागरी यातायात का 40 प्रतिशत इसी मार्ग से होकर जाता हैं, जिसमे पूर्वी एशियाई देशों को कच्चा तेल और अन्य जरुरी सामन पहुँचाया जाता हैं। चीन के इस रवय्ये से सारे विश्व की चिंताए बढ़ जाएंगी और जहाजों की मुक्त आवागमन पर असर पड़ेगा।
अमेरिका, दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। अमेरिका की नौसेना दक्षिण कोरिया और जापान में तैनात हैं। इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो सकने की आशंका जताई जा रही हैं।
चीनी नौसेना ने अपने कृत्रिम द्वीपों पर मिलिटरी राडार जैमिंग सिस्टिम कार्यान्वित किया हैं। चीन ने पिछले दिनों ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के वियतनाम की ओर जार रहे जहाज को दक्षिण चीन सागर में रोका था। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के इसकी कड़ी निंदा की थी और इस सागर को अन्तर्राष्ट्रीय सागरी क्षेत्र बताया था और इस क्षेत्र में मुक्त आवाजाही की सभी देशों को इजाजत होने की बात की थी।
आने वाले कुछ समय में चीनी वायु सेना इस विवादित सागर में अपने फाइटर जेट भी तैनात कर सकती हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद दक्षिणी चीनी सागर में अमेरिकी वायु सेना ने भी गश्त लगाना शुरू किया हैं, मगर यह गश्त चीनी वायुसेना के तुलना में कम हैं।
चीन के आक्रमक रवय्ये की चिंता सभी देशों को हैं, भारत भी इस चिंता से अछूता नहीं हैं। लेकिन चीन के विरोध में सक्त कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। पिछले दिनों भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया इन चारों देशों की नौसेनाओं को मिलाकर एक सैन्य चतुष्कोण तयार करने की बात चल रही थी। मगर कुछ कारनवश यह महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प से जुडी कोई बात सामने नहीं आई हैं।
चीन अपनी सैन्य शक्ति की आधार पर आगे बढ़ना चाहता हैं, लेकिन कुछ लोग इसे प्रदेश के अन्य देशों की संप्रभुता को खतर मानते हैं।