विवादस्पद दक्षिणी चीनी सागर पर नौसेन्य ताकत साबित करने की जोर आजमाइश जारी है। अमेरिकी निर्देशित मिसाइल विध्वंशक ने जापानी एयरक्राफ्ट कैर्रिएर, दो भारतीय नौसेन्य जहाजों और एक फ़िलिपीन के पेट्रोल वाले जहाज के साथ दक्षिण चीनी सागर पर ड्रिल का आयोजन किया गया था।
ऐसे ही अभियान पहले भी दक्षिणी चीनी सागर पर आयोजित किये गए हैं। चारो मुल्कों का संयुक्त अभियान बीजिंग के लिए नयी चुनौती का प्रतिनिधित्व कर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क में इजाफा करने की धमकी दी है।
अमेरिकी विध्वंशक के कप्तान एंड्रू जे क्लुग और विलियम पी लॉरेंस ने बयान में कहा कि “अपने सहयोगियों के साथ पेशेवर जुड़ाव, इस क्षेत्र के सभी साझेदारी और दोस्तों के समक्ष हमारे मौजूदा सम्बन्धो को मज़बूत करने का अवसर है। जापान ने अपने दो बड़े एयरक्राफ्ट में से एक इजुमो को भेजा था जबकि भारत ने एक विध्वंशक आईएनएस कोलकाता तैनात किया था और एक टैंकर आईएनएस शक्ति तैनात किया था।
संयुक्त ड्रिल का सप्ताह का अंत बुधवार को हुआ था। हाल ही में दो अमेरिकी युद्धपोत चीन के दावे वाले क्षेत्र के निकट नौचालन करते हुए पाए गए थे। इसका चीन ने विरोध किया था और कहा कि “यह कार्रवाई उनकी सम्प्रभुता का उल्लंघन कर रही है।”
अमेरिकी नौसेना ने कहा कि “वह समस्त विश्व के अंतर्राष्ट्रीय जल पर बगैर किसी राजनीतिक विचार के स्वतंत्र नौचालन अभियान का आयोजन करेगी चाहे वह उनके सहयोगियों द्वारा आधिपत्य समुन्द्र ही क्यों हो। रणनीतिक दक्षिणी चीनी सागर के अधिकतर भाग पर चीन अपना दावा करता है।
चीन के आलावा इस रणनीतिक क्षेत्र पर ब्रूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और ताइवान भी दावा करते हैं। अमेरिका, जापान और भारत का ओस क्षेत्र पर दावा नहीं है। एशियाई जल पर चीन को अलग से अमेरिका ने चुनौती दी थी। अप्रैल में अमेरिकी विध्वंशक और यूएसएस विलियम पी लॉरेंस ने ताइवान के जलमार्ग पर नौचालन किया था।