भारत माता एक बार फिर सुर्खियों में है लेकिन इस बार मीडिया में वो किसी विवाद के कारण नहीं बल्कि अपने नए अवतार के कारण है। अभी कुछ समय पहले ही भारत माता को लेकर मीडिया चैनलों में गजब का वाद विवाद देखने को मिल रहा था। देश, विदेश, शिक्षा, स्वास्थ और गरीबी से भी बड़ा मुद्दा मीडिया में भारत माता का था।
भारत माता पर लड़ने वाली पार्टी बीजेपी, आने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में ना सिर्फ भारत माता की सहायता से चुनाव जितने के सपने देख रही है बल्कि चुनाव को जीतने के लिए भारत माता पर नए प्रयोग भी कर रही है। भारत माता को प्राय केसरिया या नारंगी रंग की साड़ी पहने तथा हाथ में भगवा ध्वज लिये हुए चित्रित किया जाता रहा है।
आपने भी अब तक भारत माता को एक ही तरह की साडी पहने देखा होगा। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक माता बस इन्ही दो वस्त्रो में अपना जीवनयापन करती आ रही है। मोदी सरकार के राज में भारत कितना बदल गया यह मुद्दा तर्क और वितर्क का है लेकिन आने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा लग रहा है मानों भारत माता कुछ बदल सी गयी है। दरअसल बीजेपी ने त्रिपुरा के लोगों से जुड़ने के लिए भारत माता को वहां के पारंपरिक रूप में चित्रित किया है।
एक पल के लिए आपको लग सकता है कि भारत माता त्रिपुरावासी है। बता दे कि भारत माता को लेकर सबसे ज्यादा विवाद कांग्रेस पार्टी ने किया था। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने तो भारत माता का विरोध करते हुए यहां तक कहा था कि ‘‘नेताजी जय हिंद कहते थे और भगत सिंह इंकलाब जिंदाबाद या हिंदुस्तान जिंदाबाद कहते थे। तो क्या ये सब लोग सब देशविरोधी हो गए?”
विरोध करने वालो में पार्टी के अन्य नेताओं के नाम भी शामिल है, कांग्रेस के ही कई राजनेताओं ने कहा था कि भारत माता मानने या ना मानने वाली मन की श्रद्धा है, उनके जयकारों को अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए। बता दे कि भारत माता को आदिवासी पोशाक में पेश करना बीजेपी का अपना एक चुनावी स्टंट है।
यह चुनाव जो पहले चरण में होने जा रही है उसमे चार आदिवासी समुदायों की आबादी प्रमुख है। चुनाव में देवबर्म, त्रिपुरी / त्रिपुरा, रियांग और चाकमा, जनजातियों का दबदबा देखने को मिलेगा। इन जनजातियों की कुल आबादी 77.8 प्रतिशत हैं। यानी की चुनाव में बहुमत किसके साथ होगी यह बात इन जनजातियों के मतों पर निर्भर करती है।