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    मोदी सरकार

    अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दामों के साथ ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है, लेकिन वहीं दूसरी ओर ओपेक (ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ पैट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीस) देशों के समूह ने कहा है कि फिलहाल तेल बाज़ार ठीक दिख रहा है।

    ओपेक देशों की तरफ से ये बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन देशों के प्रतिनिधियों से बात करके उनसे पेमेंट टर्म और कमजोर होते रुपये के सुधार के संदर्भ में सुझाव मांगे थे

    ओपेक के प्रमुख सचिव मोहम्मद सानूसी बार्किंदों ने बयान जारी करते हुए कहा है कि “हमारे नजरिए से बाज़ार में अभी पर्याप्त आपूर्ति है और बाज़ार पर्याप्त संतुलित भी है। हालाँकि अभी बाज़ार में थोड़ी नाजुकता है। वर्ष 2019 में संभावित है कि अधिक उत्पादन के चलते कच्चे तेल की सप्लाइ में असंतुलन उत्पन्न हो जाये।”

    सानूसी के अनुसार भारत जैसे देश जहां तेल की कीमतों को लेकर अभी थोड़ा असंतुलन का माहौल बना हुआ है, हम अपना ध्यान उस तरफ भी बनाए हुए हैं।

    कच्चे तेल के दामों की बढ़ोतरी के साथ ही भारत के घरेलू बाज़ार में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है।

    हाल ही में भारत सरकार के पैट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कहा था कि तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार का इसपर कोई ज़ोर नहीं है। धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार ओपेक देशों के समूह ने इसके पहले देश को अधिक से अधिक सप्लाई का वादा किया था, लेकिन इनमें से कुछ देशों के अलावा बाकी देश ऐसा नहीं कर पाये।

    हाल ही में वेनेजुएला में तेल उत्पादन बंद होने की वजह से भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल के दामों में अधिक बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है।

    मालूम हो कि वर्ष 2040 तक भारत को प्रति दिन करीब 58 लाख टन कच्चे तेल की आवश्यकता होगी। वहीं इसी के साथ अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार भी 11 हज़ार अरब डॉलर का हो जाएगा।

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