राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस ‘सर्वश्रेष्ठ’ है।
PTI को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते, विपक्षी पार्टियों में सबसे ज्यादा सीट जीतने की काबिलियत रखती है। उनके मुताबिक, “मुझे कुछ गलत नहीं लगता अगर कांग्रेस गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाती है और चुनावों में इस गठबंधन का नेतृत्व करती है तो। मगर साथ ही, उन्हें स्वीकार करना होगा कि हर राज्य की ज़मीनी हकीकत अलग है।”
इस बात पर जोर देते हुए कि क्षेत्रीय पार्टी के पास वोट ट्रान्सफर करने की अधिक क्षमता है, यादव ने कहा-“हालांकि कांग्रेस को बड़े दिल के साथ नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी और क्षेत्रीय पार्टीयो को अपने एजेंडे के साथ समायोजित करने के ज्यादा सक्रीय रूप में काम करना होगा। जिन राज्यों में, कांग्रेस का मजबूत जनाधार नहीं है, वहाँ उसे क्षेत्रीय पार्टियों को भाजपा के खिलाफ मोर्चा सँभालने के लिए आगे रखना चाहिए।”
हर पार्टी को जीत हासिल करने के लिए एक विशेष राज्य की स्थिति के आधार पर अन्य पार्टियों के लिए स्थान से समझौता करना या उधार देना होगा-यादव ने उस सवाल का जवाब देते हुए कहा जिसमे उनसे पुछा गया कि क्या कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय दलों को ज्यादा महत्त्व देना होगा।
जब उनसे सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस को हटाने के ऊपर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जनता इतनी समझदार है कि वे तय कर सकें कि भाजपा को हराने के लिए उन्हें किसे चुनना चाहिए।
जब उनसे पुछा गया कि क्या सपा और बसपा, बिहार में बन रहे महागठबंधन का भी हिस्सा होंगे तो उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से सभी विपक्षी दल भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के खिलाफ हैं।
उनके मुताबिक, “आपको खुद को गठबंधन का सदस्य साबित करने के लिए लड़ने के लिए सीट की जरुरत नहीं होती है। कभी कभी बिना शर्त समर्थन देना भी मतदाताओं को सन्देश भेजने के लिए चमत्कार की तरह काम करता है। ये सच है कि सपा और बसपा बिहार की मुख्य पार्टी नहीं है मगर हमारे अन्दर उनके और उनकी राजनीती के लिए बहुत इज्ज़त है। हमने देखा कि सपा-बसपा गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार ना उतारने का फैसला लिया है।”
यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ लखनऊ में उनकी मुलाकात को लोगों द्वारा उसे कांग्रेस को निशाना बनाते हुए दबाव की रणनीति बताते हुए कहा कि उनके परिवार के हमेशा दोनों नेताओं के बीच करीबी संबंध थे और बैठकें शिष्टाचार भेंट थीं।
तेजस्वी यादव ने कहा-“अखिलेश जी हमारे विस्तारित परिवार का हिस्सा हैं और बहन मायावती जी के साथ हमेशा सौहार्दपूर्ण संबंध थे। जब उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया, तो मेरे पिता ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर वह सहमत हैं तो राजद उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए हमेशा तैयार रहेगा। इसलिए मेरी उनसे मुलाकात को दबाव की रणनीति के तौर पर नहीं देखना चाहिए।”
उन्होंने राजद को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बताते हुए कहा कि ये उन्ही का डर था जिससे भाजपा और जदयू साथ साथ आ गए और आज भी बिहार में सबसे ज्यादा मत राजद के हिस्से में ही आते है।
बीजेपी ने सपा-बसपा के गठजोड़ को एक अवसरवादी गठबंधन करार दिया था, इसपर यादव ने भगवा पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे गठबंधन बनाती है, तो वे इसे “स्मार्ट राजनीति” कहते हैं, और पूछा कि लगभग 40 पार्टियों के गठबंधन को क्या कहा जाना चाहिए।