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    तालिबानी प्रतिनिधि समूह

    तालिबान के आला स्तर के प्रतिनिधियों ने गुरूवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात की थी और अफगान शान्ति प्रक्रिया व अन्य संयुक्त हितो के मामलो पर चर्चा की थी। इंटर सर्विस इंटेलिजेंस के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद, विदेशी मामलो के सचिव सोहेल महमूद और अन्य विदेशी अधिकारी भी इस मुलाकात के दौरान मौजूद थे।

    तालिबान और पाकिस्तान की मुलाकात

    प्रतिनिधि समूह से कुरैशी ने कहा कि “अफगानिस्तान में बीते 40 वर्षो से अस्थिरता के परिणाम दोनों देश बराबरी से झेल रहे हैं।” तालिबानी प्रतिनिधियों की अध्यक्षता उप सचिव मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने की थी। प्रतिनिधि समूह बुधवार को इस्लामाबाद पंहुचा था और इसके चंद घंटो बाद ही अमेरिका के विशेष राजदूत इस्लामाबाद की यात्रा पर पंहुचे थे।

    22 सितम्बर को पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने खलीलजाद को अमेरिकी यात्रा के दौरान बुलवाया था और अफगानिस्तान में जारी स्थिति पर चर्चा की थी और अफगान शान्ति प्रक्रिया के रद्द होने के कारणों की जानकारी ली थी। बहरहाल, अफगानिस्तान की सरकार पाकिस्तान के नए एजेंडे को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं और उन्होंने तालिबान को पाकिस्तान का प्रॉक्सी करार दिया था।

    अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हम्दुल्लाह मोह्बिब ने तालिबान को पाकिस्तान और उसके ख़ुफ़िया विभाग का आईएसआई का एजेंट करार दिया है। विदेशी संबंधों की बैठक में मोह्बिब ने कहा कि “तालिबान पाकिस्तान के प्रॉक्सी है, न सिर्फ पाकिस्तान के बल्कि उसके ख़ुफ़िया विभाग का भी है। अफगानिस्तान कभी पाकिस्तान की हुकूमत को स्वीकार नहीं करेगा।

    उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान ने सोवियत के शासन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था जो तालिबान से कई गुना बेहतर था। कम से कम सोवियत हुकूमत में निकाह भवनों को तबाह तो नहीं किया जा सकता था। अफगानियो ने कभी किसी भी तरीके की थोपी गयी विचारधारा और हुकूमत को स्वीकार नहीं किया है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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