ताइवान ने शनिवार को चीनी लड़ाकू विमानों के समुंद्री सीमा से गुजरने के कारण बीजिंग की आलोचना की थी। यह सीमा तायपेई और बीजिंग को बांटती है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रविवार की शुरुआत में ताइवान ने दो चीनी विमानों को हटाने के लिए अपने विमान को उतारा था। ताइवान ने इस कदम को भड़काऊ करार दिया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि “चीन का यह कदम क्षेत्रीय शान्ति और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डालेगी।” चीन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। ताइवान को चीन अपने क्षेत्र का भाग मानता है।
At 11 a.m., March 31, 2 PLAAF J-11 jets violated the long-held tacit agreement by crossing the median line of the #Taiwan Strait. It was an intentional, reckless & provocative action. We've informed regional partners & condemn #China for such behavior.
— 外交部 Ministry of Foreign Affairs, ROC (Taiwan) 🇹🇼 (@MOFA_Taiwan) March 31, 2019
साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक ताइवान के राष्ट्रपति दफ्तर के प्रवक्ता हुआंग चुंग येन ने कहा कि “बीजिंग को इस तरह के व्यवहार को रोकना चाहिए। जो क्षेत्रीय शान्ति को खतरे में डालता है और अंतर्राष्ट्रीय अशांति फैलाने वाला है।”
राष्ट्रपति त्साई इंग वे ने सेना से जग की तैयारियों के सभी टास्क पूरे करने के लिए आग्रह किया है। चीन ने हालिया वर्षों में ताइवान की सीमा में सैन्य विमान और जहाजों को भेजा है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्वीप को अलग-थलग करने के लिए कार्य किया है और अपने कूटनीतिक साझेदारों से ताइवान से सम्बन्ध न रखने को कहा है।
चीन ने कभी ताइवान को अपने अधिकार में लेने के लिए ताकत का इस्तेमाल करने की घोषणा नहीं की है। अमेरिका और चीन के संबंधों के बिगड़ने में ताइवान बेहद महत्वपूर्ण भाग है।
हाल ही में अमेरिकी मिलिट्री के बयान के मुताबिक “दो जहाज नेवी कर्टिस विल्बर विध्वंशक और कोस्ट गार्ड बर्थोलफ कटर ने ताइवान के जलमार्ग से गुजरे थे। यह अमेरिका की मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।”
चीन और ताईवान के मध्य साल 1949 से तनातनी का दौर चल रहा है। चीन ताइवान पर अपने अधिकार का दावा करता है, जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश कहता है।
अमेरिका को सन्देश देना चाहता है चीन: विशेषज्ञ
चीन की इस हरकत के बाद ताइवान के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इसके जरिये अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि वह अमेरिका का दबाव सहन नहीं करेगा।
जाहिर है अमेरिका पैसिफिक इलाके में चीन के प्रभुत्व को कम करने के लिए ताइवान का सहारा ले रहा है। चूंकि ताइवान और चीन के बीच हमेशा तनाव बना रहता है, ऐसे में अमेरिका का मानना है कि यदि वह ताइवान की मदद करता है, तो यह चीन के खिलाफ कड़ा कदम होगा।
साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक ताइवान के विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि चीन ताइवान को चुनौती देना चाहता था, तो वह सिर्फ ताइवान की सीमा में आकर रुक जाता। लेकिन चीन नें जलडमरू मध्य पार किया है, जिसका मतलब है कि चीन नें अंतराष्ट्रीय सीमा का भी उल्लंघन किया है।
ऐसे में साफ़ है कि चीन सीधे तरीके से अमेरिका को सन्देश देना चाहता है कि वह ताइवान की मदद करना बंद करे।
ताइवान की सेना के अधिकारीयों नें कहा कि चीन अक्सर ताइवान सीमा का उल्लंघन करता है, लेकिन वह तुरंत लौट जाता था। आज हालाँकि ताइवान सेना द्वारा चेतावनी देने के बाद भी चीनी युद्धपोत लगभग 10 मिनट तक वहां रुके।