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    बांग्लादेश में रोहिंग्या समुदाय

    बांग्लादेश सुरक्षा बल ने 29 रोहिंग्या मुस्लिमों को फिशिंग बोट से मलेशिया की यात्रा करने से रोक दिया है, इन लोगो की तस्करी की जा रही थी। लेफ्टिनेंट कमांडर महमूद हसन ने बताया कि “बांग्लादेश कोस्ट गार्ड फोर्सेज को नाव का इंतज़ार करते हुए 16 औरते, 7 बच्चे और छह आदमी मिले थे।

    हसन ने पत्रकारों से कहा कि “इनमे 22 कोक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों से रोहिंग्या मुस्लिम थे और शेष बांग्लादेशी थे। हमने नाव के साथ ही तीन मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया है।”

    ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक अधिकारीयों ने कहा कि “उन्होंने तस्करों को पुलिस के हवाले कर दिया है और शरणार्थियों को वापस शिविरों में भेज दिया है।” शनिवार का अभियान नवंबर से छठी दफा था। नवंबर में रोहिंग्या मुस्लिमों को मलेशिया जाने के प्रयास करने के दौरान पकड़ा गया था। मलेशिया एक समृद्ध मुस्लिम राष्ट्र है।

    बांग्लादेश सुरक्षा बलों ने बीते माह 100 से अधिक लोगों को इस खतरनाक यात्रा करने से रोका है। इसमें अधिकतर रोहिंग्या मुस्लिम थे। साल 2015 में बांग्लादेश की कार्रवायी से पूर्व तस्कर हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिमों को शिविरों से मलेशिया भेजते थे। कोस्ट गुरद अधिकारीयों के मुताबिक मार्च के अंत में मासून के आगमन के बावजूद बंगा की खाड़ी शांत थी और इस दौरान कई रोहिंग्या मुस्लिमों ने नाव के जरिये बांग्लादेश छोड़ने की कोशिश की थी।

    बांग्लादेश भाषा बोलने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों ने देश से भागने के लिए म्यांमार बॉर्डर गार्ड पुलिस को चकमा देने के लिए दलालों को पैसे दिए थे। साल 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा रक्तपात नरसंहार के कारण लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को दूसरे देशों में पनाह लेनी पड़ी थी।

    यूएन जांचकर्ताओं ने म्यांमार में नरसंहार के लिए कट्टर राष्ट्रवादी बौद्ध संत और सेना को जिम्मेदार ठहराया था। नेता अंग सान सु की की सरकार ने सेना के साथ सत्ता साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

    रोहिंग्या को वापस नहीं ले रहा म्यांमार

    रोहिंग्या मुस्लिम मुख्य रूप से म्यांमार के निवासी हैं और दो साल पहले लाखों शरणार्थी म्यांमार से भागकर बांग्लादेश और अन्य देशों में गए थे। अब विश्व समुदाय यह आशा कर रहा है कि म्यांमार इस शरणार्थियों को वापस ले ले।

    इसके बावजूद म्यांमार रोहिंग्या समुदाय को वापस नहीं ले रहा है। म्यांमार के रखाईन प्रांत में बचे कुछ रोहिंग्या का कहना है कि स्थिति अभी भी काफी गंभीर है।

    हाल ही में एक विदेशी संस्था नें म्यांमार का दौरा किया था और वहां रहने वाले रोहिंग्या का हाल चाल पूछा था।

    इस दौरान उत्तरी रखाइन के एक युवक ने बताया कि “उसे हर कार्य के लिए ले जाया जाता था, इसमें सप्लाई, भोजन पकाना और निर्माण कार्य शामिल है। जब म्यांमार की सेना आती थी तो वह गाँव में कहते थे कि तुम्हे सब करना होगा। अगर तुम मना करोगे, तो तुम्हे बुरी तरह पीटा जायेगा और जेल भेजा जायेगा।”

    इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र नें भी कई बार म्यांमार की सेना को इसका जिम्मेदार बताया है।

    म्यांमार के मौंगड़ाव शहर के नजदीक गाँव की एक महिला ने बताया कि “हम इधर-उधर नहीं जा सकते हैं। दिन ब दिन हालात और बुरे हो रहे थे। बिना भय के हम किसी स्थान पर नहीं का सकते थे। गाँव के अधिकतर लोग वहां से भागने के बारे में सोचते थे।

    ऐसे में आने वाले समय में और भी रोहिंग्या म्यांमार से निकल सकते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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