अमेरिका और चीन के मध्य व्यापार के अलावा ताइवान को लेकर भी संघर्ष जारी है। चीन और ताइवान के मध्य विवाद कर बीच अमेरिका के दो युद्धपोत गुरुवार को ताइवान के जलमार्ग से गुजरे थे। ताइवान को सरकार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह देश का पहला नया अभियान है।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह अपने समुंद्री क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों पर पैनी निगाह बनाये हुए हैं। ताकि समुन्द्र में सुरक्षा का माहौल हो और क्षेत्रीय स्थिरता कायम रहे। चीन ताइवान को अपने देश का अंग मानता है ऐसे में अमेरिकी युद्धपोतों के गुजरने से चीन भड़क सकता है। अमेरिका के इन कदम को ताइवान की स्वतंत्रता का खुलकर समर्थन माना जा रहा है। इससे चीन और ताइवान के रिश्ते खराब हो सकते है। चीन ताइवान को स्वतंत्रता देने के खिलाफ है।
हाल ही में चीनी राष्ट्रपति ने ताइवान को अपने इलाके में सम्मिलित करने के लिए सेना के इस्तेमाल की धमकी दी थी। इसके प्रतिकार में ताइवान की राष्ट्रपति ने अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। ताइवान की राष्ट्रपति ने वैश्विक समुदाय से मदद की गुहार लगाई थी। ताइवान की मौजूदा राष्ट्रपति साई इंग वें के सत्ता संभालने के बाद चीन के साथ संबंध काफी खराब हो गए हैं।
हाल ही में शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान की आज़ादी एक आपदा बनकर उभर सकती है, इसलिए शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी भरे सुरों में कहा कि चीन ताइवान में बल का प्रयोग करना बंद नहीं करेगा।
ताइवान की नीति की 40 वीं वर्षगांठ पर भाषण में शी जिनपिंग ने कहा कि एकीकरण चीन की “वन नेशन, टू सिस्टम” सिद्धांत के तहत होना चाहिए, जिसमे ताइवान चीन का भाग है। उन्होंने कहा ताइवान के सभी लोगों को इस बात का भान होना चाहिए कि ताइवान की आज़ादी उनके लिए खुद ढूंढी हुई आपदा हो सकती है।
ताइवान की राष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि द्वीप की 2.3 करोड़ जनता चीन के इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि चीन को ताइवान की अस्तित्व के तथ्य का सामना करना होगा, वह ताइवान की जनता द्वारा निर्मित लोकतान्त्रिक राष्ट्र की प्रणाली को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता है।