विषय-सूचि
तटस्थता या उदासीनता वक्र क्या होता है? (indifference curve meaning in hindi)
तटस्थता वक्र एक ऐसा वक्र होता है जो उपभोक्ता को समान संतुष्टि देने वाले विभिन्न वस्तुओं के संयोजनों(bundles) को रेखाचित्र के रूप में दर्शाता है। हम जानते हैं की ये सभी बंडल उपभोक्ता को एक समान संतुष्टि देते हैं अतः वह इनके प्रति उदासीन होता है। अतः इस वक्र को तटस्थता वक्र या उदासीनता वक्र नाम दिया गया है।
उदाहरण (example of indifference curve in hindi)
मान लेते हैं मोहन के पास 1 पेन है एवं 12 पेंसिल हैं। अब यदि हम मोहन से पूछते हैं की वह एक और पेन लेने के लिए कितनी पेंसिल देने को तैयार है ताकि उसकी संतुष्टि का स्तर समान रहे।
इस पर मोहन 1 पेन और पाने के लिए 6 पेंसिल देने के लिए तैयार हो जाता है जिससे उसकी संतुष्टि उसी स्तर पर बरकरार रह सके। अतः पेन की हर एक अतिरिक्त इकाई पाने के लिए पेंसिल की 6 इकाइयां देगा।
इससे हमारे पास निम्न संयोजन आ जाते हैं :
ऊपर दी गयी तालिका में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ दो वस्तुओं विभिन्न संयोजन दिए हुए हैं जोकि मोहन(उपभोक्ता) को समान स्तर की संतुष्टि दे रहे हैं। यहाँ एक समान की अतिरिक्त इकाई के लिए दुसरे समान की छः इकाइयों का बलिदान किया जा रहा है। यह प्रतिस्थापन दर कहलाता है। अतः एक पेन का प्रतिस्थापन दर 6 पेंसिल है।
अब हम इस तालिका को चित्र के रूप में दर्शाएंगे जिसे तटस्थता वक्र कहा जाता है।
जैसा की आप ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते हैं यह तालिका में दिए गए संयोजनों को दर्शा रहा है। वे ऐसे संयोजन हैं जिनके प्रति उपभोक्ता तटस्थ है अतः यह तटस्थता वक्र कहलाता है।
तटस्थता मानचित्र (indifference curve diagram)
जब चित्र में एक से ज्यादा तटस्थता वक्र दर्शाए जाते हैं तो इसे तटस्थता मानचित्र कहा जाता है। ये उपभोक्ता के संतुष्टि के विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं। निचे दिए गए चित्र में आप तटस्थता मानचित्र का उदाहरण देख सकते हैं।
जैसा की आप ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते हैं यहाँ 3 विभिन्न तटस्थता वक्र दे रखे हैं जोकि उपभोक्ता के विभिन्न संतुष्टि के दरों को दर्शा रहे हैं। यहाँ उच्च तटस्थता वक्र का मतलब उच्च स्तर की संतुष्टि है अतः उपभोक्ता उच्च वक्र को तवज्जो देगा। IC2 के जितने भी संयोजन होंगे वे IC1 के संयोजनों के मुकाबले ज्यादा संतुष्टि देंगे क्योंकि उसमे वस्तुओं की ज्यादा संख्या होगी।
तटस्थता वक्र के गुण (indifference curve and its properties in hindi)
1. एक तटस्थता वक्र की ढलान नीचे दायीं और होती है।
इसकी ढलान का यह अभिप्राय है की जब एक वस्तु का उपभोग बढ़ाया जाता है तो दूसरी वस्तु का कम होता है। जैसा की अप चित्र में देख सकते हैं की जब X वस्तु का उपभोग बढ़ाया जाता है तो Y वस्तु का उपभोग कम होता जाता है।
2. एक तटस्थता वक्र हमेशा मूल के उत्तल होता है।
जैसा की आप देख सकते हैं मूल की तरफ से देखें तो यह उत्तल होता है। इसके उत्तल होने का मुख्या कारण यह होता है की जैसे जैसे हम नीचे आते हैं तो प्रतिस्थापन दर घटता जाता है।
3. तटस्थता वक्र कभी एक दुसरे को प्रतिच्छेद नहीं करते हैं।
जैसा की ऊपर चित्र में दिखाया गया है ऐसी स्थिति संभव नहीं है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जैसा की हम जानते हैं उच्च वक्र पर वस्तुओं के उच्च संयोजन होते हैं एवं उच्च संतुष्टि भी होती है। लेकिन यदि दो वक्र प्रतिच्छेद करेंगे तो इस स्थिति में दो वक्रों पर समान स्तर की संतुष्टि होगी जैसा असंभव है।
सीमान्त प्रतिस्थापन दर (marginal substitution rate in hindi)
सीमान्त प्रतिस्थापन दर वह दर होता है जिसपर एक उपभोक्ता Y वस्तु की अतिरिक्त इकाइयां पाने के लिए X वस्तु की कितनी इकाइयां देने के लिए तैयार होता है। यदि हम मोहन के उदाहरण पर वापस जाएँ तो हमें यह तालिका मिलेगी:
जैसा की हमने देखा पहले 1 पेन के लिए मोहन ने 6 पेंसिल दी लेकिन यह धीरे धीरे कम हो गया। इसके बाद उसने केवल 2 पेंसिल ही दी। अतः प्रतिस्थापन दर वह दर होता है जिससे संतुष्टि को समान रखते हुए Y वस्तु के लिए X वस्तु का बलिदान किया जाता है।
ऊपर दी गयी तालिका से हम जान सकते हैं :
- जैसे जैसे मोहन को ज्यादा पेन मिले उसकी और पेन पाने की चाह कम हो गयी।
- ये दोनों चीज़ें एक दुसरे की अपूर्ण विकल्प हैं। यदि ये पूर्ण विकल्प होती तो दर हमेशा समान होता कम नहीं होता।
तटस्थता वक्र से उपभोक्ता संतुलन (consumer balance from indifference curve)
जैसा की हम जानते हैं उपभोक्ता का संतुलन उस तब मिलता है जब वह दी गयी मात्रा अधिकतम संतुष्टि पाने के लिए व्यय करता है। इसके लिए हमें बजट रेखा के बारे में जानना होगा।
बजट रेखा (budget line in hindi)
बजट रेखा दो वस्तुओं के ऐसे सभी संयोजनों को दर्शाती है जिसे उपभोक्ता अपनी आय से खरीद सकता है।
ऊपर जैसा की आप देख सकते हैं यह रेखा दर्शा रही है की एक उपभोक्ता अपनी आय से दो वस्तु के कौन-कौन से संयोजन खरीद सकता है। इस रेखा में ढलान नहीं बल्कि सिधाई इसलिए है क्योंकि इसमें एक वस्तु के बढ़ने एवं दूसरी वस्तु के घटने का दर समान है। हम देख सकते हिं फ्राइज 10 इकाइयों से घाट रही है एवं बर्गर 5 इकाइयों से बढ़ रहे हैं। इस रेखा पर दिए गए सभी संयोजन उपभोक्ता अपनी पूरी व्यय योग्य आय को व्यय करके खरीद सकता है।
उपभोक्ता संतुलन (consumer balance in hindi)
जैसा की हम समझ सकते हैं उपभोक्ता तभी संतुलन में होगा जब उसे अपनी आय व्यय करने पर अधिकतम संतुष्टि मिलेगी। उसकी अधिकतम संतुष्टि अन्दिमान वक्र पर होगी लेकिन वह पूरी आय व्यय करके कोण कोण से संयोजन खरीद सकता है यह जानकारी बजट रेखा पर होगी। अतः जब ये दोनों प्रतिच्छेदन करेंगे उस वक़्त उपभोक्ता संतुलन में होगा।
जैसा की ऊपर चित्र में देखा जा सकता है एक निश्चित बिंदु पर बजट रेखा एवं तटस्थता वक्र प्रतिच्छेदन कर रहे हैं। यह वाही बिंदु होगा जहां उपभोक्ता संतुलन की स्थिति में होगा। अतः इस तरह हम बजट रेखा एवं अनाधिमान वक्र से उपभोक्ता संतुलन ज्ञात कर सकते हैं।
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