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    भारत चीन सीमा

    कहते हैं संगति का असर हमारे विचारों पर जरूर होता है। इस सम्बन्ध में रहीम का एक दोहा बड़ा प्रसिद्द है-

    कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
    जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन॥

    पकिस्तान से बढ़ती दोस्ती के कारण चीन की हरकतें भी पाकिस्तान जैसी होने लगी हैं। हालिया घटनाक्रम में चीन की पीएलए के सैनिकों ने उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोती में भारतीय सीमा में 1 किलोमीटर अंदर घुसकर भारतीय चरवाहों को धमकी दी। यह घटना 25 जुलाई की सुबह को हुई थी। चीनी सैनिकों ने चरवाहों को धमकाते हुए उन्हें वहाँ से वापस लौट जाने को कहा था। यह घटना ऐसे समय में घटित हुई है जब सिक्किम के डोकलाम में भारतीय और चीनी सेना में पहले से ही गतिरोध कायम है। इसे चीन की उकसावे की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

    उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 140 किलोमीटर दूर यह जगह उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लगी सीमा के मध्य सेक्टर की 3 चौकियों में से एक है। यह आईटीबीपी के निगरानी क्षेत्र में आता है और विसैन्यीकृत क्षेत्र है। जवावों को यहाँ हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। बाराहोती को वर्ष 1958 में भारत और चीन ने एक विवादित क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध किया था और इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों में से कोई भी देश यहाँ अपनी सेना नहीं भेजेगा। इसका पालन करते हुए चीन की पीएलए ने वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान इस मध्य सेक्टर में प्रवेश नहीं किया था और पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश तथा पश्चिमी सेक्टर में लद्दाख पर हमला किया था। युद्ध के बाद भी गश्ती के दौरान आईटीबीपी के जवान यहाँ शांतिपूर्ण(गैर जंगी) तरीका अपनाते थे। वह अपनी बन्दूक की नाल को नीचे जमीन की तरफ करके गश्ती करते थे।

    सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन के साथ कई दौर की वार्ताएं हुई हैं। उन्हीं में से एक वार्ता जून, 2000 में हुई थी। इस वार्ता के बाद भारत इस बात पर सहमत हो गया था कि मध्य सेक्टर की 3 चौकियों बाराहोती, करौली और हिमाचल प्रदेश के शिपकी में आईटीबीपी के जवान हथियार लेकर नहीं जायेंगे। आईटीबीपी के जवान यहाँ सिविलियन्स की तरह गश्ती करने जाते हैं और स्थानीय चरवाहे यहाँ के चरागाहों में अपनी भेड़े चराने के लिए ले जाते हैं। तिब्बत के लोग भी अपनी याक चराने के लिए बाराहोती के चरागाहों का इस्तेमाल करते हैं। भारत-चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में कायम गतिरोध के बीच ड्रैगन की यह घुसपैठ मौजूदा परिस्थितियों को और तनावपूर्ण बनाएगी और भारतीय सेना को उकसाने का काम करेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।