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    अमेरिका नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति

    हाल ही में अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (एनएसएस) की घोषणा की है। एनएसएस के दस्तावेजों से ट्रम्प की विचारधारा का पता चलता है। इन दस्तावेजों में अमेरिका ने रूस, चीन, पाकिस्तान व इस्लामवादी देशों को खतरा बताया है तो वहीं भारत को अपना सहयोगी, सहभागी व अग्रणी वैश्विक लीडर के रूप में प्रदर्शित किया है।

    एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत-अमेरिका के संबंधों को दिए गए महत्वता की सराहना करते है। साथ ही अमेरिका व भारत को दो जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में भारतीय समाचार पत्रों में दिखाया गया है।

    इस नए दस्तावेजों और पिछले साल ट्रम्प के बयान काफी अलग नजर आ रहे है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के सारे 55 दस्तावेजों को नहीं पढ़ा है सिर्फ कुछ को ही पढ़ा है। ऐसे में भारत के बारे में अमेरिका के विचार को स्पष्ट रूप से नहीं बताया जा सकता है।

    एनएसएस दस्तावेजों से एक बात भारत के लिए काफी राहतभरी है कि अमेरिका ने चीन, पाकिस्तान व रूस को खतरा व भारत को सहयोगी का दर्जा दिया है। अपनी नई रिपोर्ट में अमेरिका “धमकियों” या “प्रतियोगिता” के बजाय “अवसर” श्रेणी में भारत को स्पष्ट रूप से शामिल करता है।

    हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को जानता है अमेरिका

    अमेरिकी दस्तावेज में भारतीय चिंता के सबसे महत्वपूर्ण बाहरी क्षेत्र – फारस की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर का जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि हिंद महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत महासागर के संबंध में सत्ता के संतुलन के मामले के रूप में भारत के महत्व को अमेरिका अच्छी तरीके से जानता है।

    अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति मे कहा गया है कि हम जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ मिलकर चतुर्भुज सहयोग बढ़ाने की कोशिश करेंगे। साथ ही भारत के साथ रक्षा व सुरक्षा सहयोग को विस्तारित करेंगे। इस दस्तावेज में भारत को अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझेदार माना गया है।

    चीन व पाकिस्तान को बताया खतरा

    अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (एनएसएस) में पाकिस्तान को खतरा व आतंकवाद समर्थित देश के रूप में बताया है। साथ ही कहा है कि हम अमेरिका को आर्थिक मदद देते है तो उसे आतंकवाद के खिलाफ अपने प्रयासों में तेजी लानी पड़ेगी। अमेरिका की पाकिस्तान के बारे में ये सोच भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।

    अमेरिका ने एनएसएस मे कहा है कि वो दक्षिण एशियाई राष्ट्रों को अपनी संप्रभुता बनाए रखने में मदद करेगा। लेकिन अमेरिका ने ऐसा इसलिए ही कहा है कि वो जानता है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में वो भारत व अन्य देशों को चीन के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश में लगा हुआ है।

    अगर भारत की तरफ से देखा जाए तो ये उसके लिए अच्छा संकेत है कि वो अमेरिका की मदद से दक्षिण एशियाई समुद्र में चीन की गतिविधियों व प्रभुत्व को रोक सकता है।

    अमेरिकी प्रथम की नीति पर आधारित है एनएसएस

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रशंसा की जानी चाहिए कि पहले साल में एनएसएस में उन्होंने अपनी नीतियों को स्पष्ट रूप से बताया है। साथ ही इन दस्तावेजों को अपने अधिकारियों को छोड़ने की बजाए खुद बनाने में सहयोग किया है और खुद ने पेश की है।

    एनएसएस अमेरिकी प्रथम की नीति पर आधारित है जो कि ट्रम्प शुरूआत से ही कह रहे है। एनएसएस में जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों को शामिल नहीं किया गया है जो कि बराक ओबामा प्रशासन के समय इसमें शामिल थे।

    अमेरिकी एनएसएस ने रूस व चीन को चुनौतीपूर्ण व प्रतियोगी के रूप में माना है। जबकि ओबामा ने इन्हें सहयोगी के रूप में माना था। एनएसएस का कहना है कि अमेरिका का राष्ट्रीय ऋण एक गंभीर खतरा है। चीन व रूस को चुनौती बताते हुए भी अमेरिका इनके साथ ही काम कर रहा है।