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    भारत-चीन के बीच पानी का विवाद

    भारत और चीन के बीच पानी को लेकर अब नया विवाद खड़ा हो गया है। जानकारी के मुताबिक चीन भारत को ब्रह्मपुत्र नदी के पानी के स्तर के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा, जिसकी वजह से कई सीमावृत्ति इलाकों में बढ़ आने की आशंका है।

    चीन हर साल भारत और बांग्लादेश को मानसून के मौसम के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी के पानी के बारे में जानकारी भेजता है। इसमें नदी में पानी का स्तर, गति और अन्य जानकारी शामिल हैं। लेकिन इस साल चीन ने भारत को ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है, जिसकी वजह से उत्तर पूर्वी राज्यों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

    आपको बता दें ब्रह्मपुत्र दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी नदी है। यह नदी तिब्बत से निकलकर, भारत में होते हुए बांग्लादेश पहुँचती है, जिसके बाद यह बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। इस नदी का एक बड़ा हिस्सा भारत से होकर गुजरता है। तिब्बत में निकलने की वजह से चीन हर साल इस नदी के पानी के बारे में जांच करता है। इसकी सुचना यह भारत और बांग्लादेश को देता है।

    इस साल चीन ने बताया कि किसी तकनीकी समस्या के कारण वह भारत को इसकी सुचना नहीं दे सका। वहीँ खबर के मुताबिक चीन ने बांग्लादेश को इसकी सुचना दी है। इसके बाद से चीन के इरादे भी साफ़ दिखाई देते हैं।

    भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि हर साल 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच चीन भारत को नदी के बहाव के बारे में जरूरी सुचना देता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है। इस वजह से उत्तर पूर्व राज्यों के नागरिक चिंता में हैं।

    चीन ने अपने इलाके में इस नदी पर एक बड़ा बांध बना रखा है। इस कारण से चीन बड़ी मात्रा में पानी को बाँध के रखता है। चीन चाहे तो बड़ी मात्रा में पानी छोड़ सकता है, जिससे भारत के कई इलाकों में बाढ़ आ सकती है। ऐसे में यह भारत के लिए बहुत नुकसानदेय हो सकता है।

    चीन के ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध बनाने से भारत और बांग्लादेश में रह रहे लाखों लोगों को पानी की किल्लत हो रही है। पानी के बहाव और मात्रा का ज्ञान ना होने से नदी किनारे रह रहे लाखों लोगों की जिंदगी संकट में है। अगर चीन इस मुद्दे पर खुल के चर्चा नहीं करता है, तो भारत-चीन संबंधों में फिर कड़वाहट आ सकती है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।