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    जेट एयरवेज संकट

    भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रही जेट एयरवेज़ को अपना कारोबार बचाने के लिए अब एक आशा की किरण नज़र नज़र आने लगी है। जेट एयरवेज़ की मदद करने के लिए अब डेल्टा एयर सामने आई है।

    इससे जुड़े सूत्रो का मानना है कि जेट में नरेश घोयल जिनके पास जेट एयरवेज़ का 51 प्रतिशत हिस्सा है व एतिहाद एयरलाइन जिनके पास जेट एयरवेज़ का 24 प्रतिशत हिस्सा है, इसका बड़ा हिस्सा डेल्टा एयरवेज़ खरीद लेगी।

    इसके पहले खबर आई थी कि जेट एयरवेज़ के मुखिया नरेश गोयल ने मुकेश अंबानी और रतन टाटा से भी इस सिलसिले में बात की थी। जिसमें टाटा समूह ने जेट में हिस्सेदारी खरीदने के लिए अपनी रुचि जाहिर की थी।

    मालूम हो कि जेट एयरवेज़ देश की ऐसी पहली एयरलाइन है जिसके लिए सरकार ने कंपनी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को विदेशी एयरलाइनों को बेंचने की अनुमति दी है।

    हालाँकि खबरों में आ रहा है कि टाटा ग्रुप जेट एयरवेज़ में हिस्सेदारी खरीदने की पहल करता है तो टाटा सिर्फ गोयल के हिस्से में आ रहे 51 प्रतिशत शेयर ही खरीदेगा।

    टाटा पहले से ही एयरलाइन के व्यवसाय में पूर्ण रूप से सक्रिय है। टाटा ने एयरएशिया इंडिया व विस्तारा एयरलाइन में अपनी हिस्सेदारी खरीद रखी है।

    गौरतलब है कि अभी इस सिलसिले में जेट एयरवेज़ की तरफ से किसी भी तरह का कोई बयान नहीं आया है। हालाँकि डेल्टा एयरलाइन अगर जेट एयरवेज़ के साथ सफलतापूर्वक करार कर लेती है, तो भीषण आर्थिक बोझ तले दबी जेट एयरवेज़ को बाज़ार में नया जीवन मिल सकता है।

    मालूम हो कि विमान ईंधन के बढ़ते दामों के बावजूद डेल्टा एयरलाइन ने बड़ा मुनाफा इकट्ठा किया है। वर्ष 2017 में डेल्टा एयरलाइन ने 3.6 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया था, जबकि इस वर्ष के सितंबर माह तक भी डेल्टा ने 2.99 अरब डॉलर का मुनाफा अर्जित कर लिया है।

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