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    DSL- digital subscriber line in hindi

    विषय-सूचि

    डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन (DSL) क्या है? (digital subscriber line in hindi)

    DSL यानी कि डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन एक आधुनिक तकनीक है जो पहले से मौजूद टेलीफोन लाइन्स का प्रयोग कर के ज्यादा बैंडविड्थ वाले डाटा को सर्विस के सब्सक्राइबर्स तक ट्रांसपोर्ट करता है।

    उदाहरण के तौर पर मल्टीमीडिया और विडियो। ये एक डेडिकेटेड और पॉइंट टू पॉइंट पब्लिक नेटवर्क एक्सेस की सुविधा प्रदान करता है।

    ये DSL कनेक्शन सामान्यतः एक नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर सेंट्रल ऑफिस और कस्टमर साईट के बीच होता है। या फिर ये किसी बिल्डिंग या कैंपस के अंदर लोकल लूप बनाया गया भी हो सकता है।

    सर्विस प्रोवाइडर्स का DSL ने काफी ध्यान खींचा है और वो इसे प्रयोग में भी लाते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये हाई-बैंडविड्थ डाटा रेट को डिलीवर करता है और वो भी काफी दूरी तक। इसके लिए ये पहले से मौजूद टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क में छोटे से बदलाव करता है।

    DSL के कार्य (function of digital subscriber line in hindi)

    दूसरे शब्दों में कहें तो डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन यानी कि DSL (पहले इसे डिजिटल सब्सक्राइबर लूप कहा जाता था) एक संचार का माध्यम है जिसके द्वारा कॉपर वायर टेलीकम्युनिकेशन लाइन का प्रयोग करते हुए इन्टरनेट ट्रान्सफर होता है।

    इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा ब्रॉडबैंड इन्टरनेट एक्सेस देने का केबल इन्टरनेट के अलावे ये भी एक प्रसिद्द मेथड है।

    • इसका लक्ष्य होता है कि तेज गति के इन्टरनेट के ट्रान्सफर को बरकरार रखा जाये।
    • अगर आप सोंच रहे होंगे कि आखिर ये होता कैसे है यानी कि टेलीफोन और इन्टरनेट- दोनों ही सुविधाएँ तो इसका जवाब है DSL फिल्टर्स। इन्हें splitters भी कहा जाता है। इसके प्रयोग से फ्रीक्वेंसी को अलग-अलग कर दिया जाता है और ये सुनिश्चित किया जाता है कि वो बाधित नहीं हों। इसे नीचे के चित्र के माध्यम से आप समझ सकते हैं:

    DSL के प्रकार (types of digital subscriber line in hindi)

    डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन दो प्रकार के होते हैं जिनकी चर्चा नीचे की गई है:

    1. सिमेट्रिक DSL – SDSL अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम फ्रीक्वेंसी को समभाव से अलग-अलग करता है जिसके कारण औलोडिंग और डाउनलोडिंग- दोनों ही डाटा ट्रान्सफर की गति समान ही रहती है। ये कनेक्शन 2Mbps का अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम गति दे सकता है। इसका प्रयोग छोटे आर्गेनाइजेशन द्वारा ज्यादा किया जाता है।
    2. असिमेट्रिक DSL – ADSL डाउनस्ट्रीम डाटा ट्रान्सफर के लिए बड़े फ्रीक्वेंसी रेंज की सुविधा देता है जिसके कारण डाउनलोड की गति कई गुना बढ़ जाती है। ADSL कनेक्शन 20Mbps की डाउनस्ट्रीम और 1.5Mbps की अपस्ट्रीम गति दे सकता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अधिकतर यूजर डाटा को अपलोड करने से ज्यादा डाउनलोड ही करते हैं।

    DSL के फायदे (benefits of digital subscriber line in hindi)

    DSL के निम्न बेनेफिट्स होते हैं:

    • अतिरक्त वायरिंग की जरूरत नही–  चूँकि एक DSL कनेक्शन आपके पास पहले से मौजूद टेलीफोन कनेक्शन का प्रयोग करता है, इसीलिए आपको अपने फ़ोन सिस्टम को और भी अपग्रेड करने के लिए कुछ और करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें नये तार नहीं लगवाने पड़ते।
    • कोस्ट इफेक्टिव– DSL इन्टरनेट काफी कोस्ट इफेक्टिव होता है कनेक्टिविटी में भी अच्छा होता है। इसमें अतिरिक्त खर्च की जरूरत नहीं पड़ती।
    • उपयोगकर्ता टेलीफोन लाइन और इन्टरनेट सेवा- समान समय पर इन दोनों के ही लाभ उठा सकता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि आवाज के ट्रान्सफर के लिए अलग फ्रीक्वेंसी होती है और डिजिटल सिग्नल के ट्रान्सफर की अलग फ्रीक्वेंसी होती है।
    • अलग-अलग सर्विस प्रोवाइडर्स के अलग अलग गति और कोस्ट के विकल्पों में से यूजर कोई भी सुविधा चुन सकता है।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

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