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    आधार से मोबाइल लिंकिंग

    सरकार से आधार को लेकर उम्मीद में बैठी टेलीकॉम कंपनियों को जल्द ही बड़ा झटका मिल सकता है।

    इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक दूरसंचार विभाग इस बाबत जल्द ही सूचना जारी करने वाला है कि टेलीकॉम ऑपरेटर अब अपने पुराने तरह या कागजी कार्यवाही के साथ अपने ग्राहकों की पहचान का सत्यापन करें।

    टेलीकॉम ऑपरेटरों को उम्मीद थी कि संबन्धित मंत्रालय इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

    ऐसे में टेलीकॉम ऑपरेटरों के पास अब कोई विकल्प नहीं बचेगा और उन्हे अपने ग्राहकों के सत्यापन के लिए फिर से कागजी कार्यवाही की तरफ रुख करना पड़ेगा। इसके लिए अब ग्राहकों को उनके पहचान पत्र को डिजिटल स्कैन कर कंपनी को देना होगा, जिसके कंपनी अपने डेटा बेस में जमा कर सकेगी।

    गौरतलब है कि ग्राहकों के आधार की स्कैन कॉपी को पूर्ण पहचान के रूप में मान्यता है। ऐसे में ग्राहक अपनी पहचान के लिए 12 अंकों वाले आधार की स्कैन कॉपी को भी जमा कर सकता है। इस तरह से आधार को भौतिक पहचान(पहचान पत्र) के रूप में स्वीकारा जाएगा, जबकि आधार के तहत ग्राहक की बायोमेट्रिक पहचान नहीं ली जाएगी।

    हालाँकि टेलीकॉम ऑपरेटरों को यह उम्मीद थी कि सरकार आधार को लेकर कोई उचित रास्ता निकाल लेगी, जिसके साथ ही ग्राहकों की पहचान के रूप में आधार को स्वीकारना जारी बना रहेगा।

    अभी हाल ही में यूआईडीएआई ने भी टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ मिलकर आधार के विकल्प पर चर्चा करते हुए देश के सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों से सुझाव मांगे थे, जिसके तहत समय सीमा के भीतर ही इन सभी ऑपरेटरों ने अपनी परेशानी यूआईडीएआई के सामने रखी थी।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबसे अधिक दिक्कत रिलायंस जियो को होने वाली है। सितंबर 2016 में भारतीय टेलीकॉम बाज़ार में कदम रखने वाली जियो अपने पहले ही दिन से ग्राहकों की पहचान के रूप में आधार लेती आ रही है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे इतने बड़े पैमाने पर अपने ग्राहकों की पहचान को लेकर बदलाव करना पड़ेगा।

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