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    सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनलों से अपील की है कि वे उत्तराखंड के सिल्क्यारा में चल रहे बचाव अभियान को सनसनीखेज न बनाएं। मंत्रालय ने कहा है कि चैनलों को बचाव अभियान के करीब से लाइव पोस्ट और वीडियो नहीं करने चाहिए।

    टेलीविजन चैनलों से कहा कि यह सुनिश्चित करें कि मानव जीवन बचाने में लगीं विभिन्न एजेंसियों की गतिविधि किसी भी तरह से ऑपरेशन स्थल के पास या आसपास कैमरामैन, पत्रकारों या उपकरणों की उपस्थिति से बाधित या परेशान न हो।

    सरकार 2 किलोमीटर लंबी सुरंग के एक हिस्से में फंसे श्रमिकों से लगातार संपर्क बनाए हुए है और उनका मनोबल बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। विभिन्न सरकारी एजेंसियां 41 श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। सुरंग के आसपास चल रहा बचाव कार्य बेहद संवेदनशील प्रकृति का है, जिसमें कई लोगों की जान बचाना शामिल है। 

    टीवी चैनलों द्वारा खासकर बचाव कार्य स्थल के करीब कैमरे और अन्य उपकरण रखकर बचाव कार्य से संबंधित वीडियो फुटेज और अन्य तस्वीरों के प्रसारण से चल रहे ऑपरेशन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

    सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनलों को सलाह दी है कि वे इस मामले पर रिपोर्टिंग करते समय सतर्क और संवेदनशील रहें, खासकर हेडलाइन, वीडियो और तस्वीरें डालते समय। मंत्रालय ने कहा है कि टीवी चैनल ऑपरेशन की संवेदनशील प्रकृति, परिवार के सदस्यों और साथ ही आम दर्शकों की मनोवैज्ञानिक स्थिति का उचित ध्यान रखें।

    क्या है पूरा मामला?

    सिल्कयारा से बरकोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर 2023 को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी जिसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए।

    बचाव अभियान के शुरुआती चरण में मलबे के बीच से 900 मिमी की पाइप पहुंचाई गई और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण एक साथ कई बचाव विकल्पों का पता लगाया गया। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।

    पांच एजेंसियों- ONGC, SJVNL, RVNL, NHIDCL और THDCL को उनकी अपनी-अपनी विशेषज्ञता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

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